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बुद्धि की तत्परता....

जीवन में वैसे तो छोटी मोटी कई परीक्षाएँ होती है लेकिन शांत मन और स्थिर हृदय के साथ सही समय पर लिया हुआ निर्णय हमेशा सही रहता है और परीक्षा में सफल भी करता है।

एक बार एक व्यापारी, जूते की एक दुकान पर जूते खरीदने गया। वह उस शहर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था। उसने अपनी पसंद का 8 नंबर का जूता लिया और फिर उसने वहा के सेल्समैन से उसे पैक करने के लिए कहा। वह जो सेल्समैन था उसने अभी कुछ दिन पहले ही उस दुकान में नया काम शुरू किया था।

उस व्यापारी ने जूते खरीदने के बाद जैसे ही पैसे देने के लिए जेब में हाथ डाला तो वहाँ पर पर्स नहीं था। उसे ध्यान आया कि उसका पर्स तो घर पर ही रह गया है। उसने सेल्समैन से पूछा कि क्या वह जूते अपने साथ ले जा सकता है और पैसों का भुगतान कल कर देगा?

दुकान पर नया होने के कारण सेल्समैन ने स्टोर मैनेजर के साथ इस मामले पर चर्चा की और पूरा मामला बताया। स्टोर मैनेजर जानते थे कि वह ग्राहक एक प्रतिष्ठित व्यवसायी है। हालांकि, उधार में जूते देने की उनकी इच्छा नहीं थी। लेकिन वह अपना ग्राहक और अपनी बिक्री को भी गंवाने को तैयार नहीं थे।

उन्होंने सेल्समैन को सलाह दी कि वे स्थिति को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से संभालें।

अब निर्णय उस सेल्समैन को लेना था कि कैसे इस परिस्थिति को निभाया जाए। वह एक पल के लिए ठहर गया, ठहराव के उस पल में उसने कुछ विचार किया और फिर वह संतुष्टिता के भाव के साथ ग्राहक के पास लौट आया। उसने जूते पैक करना शुरू किया और ग्राहक को जूतो का पैकेट मुस्कुराते हुए सौंप दिया।

अगले दिन सुबह ग्राहक अपने द्वारा खरीदे गए जूतों के साथ दुकान पर पहुँचा। अपने खरीदे हुए जूतों की कीमत चुकाई और सेल्समैन से कहा कि घर जाकर पैकेट खोलने के बाद देखा तो एक जूता 8 नंबर और दूसरा जूता 7 नंबर का था। हो सकता है कि ऐसा शायद गलती से हो गया है। कृपया इसे मुझे बदल कर दे दे।"

सेल्समैन ने असुविधा के लिए खेद व्यक्त किया और गलत नंबर के जूते को सही नंबर के जूते से बदल दिया। ग्राहक ने अपने जूते लिए और पूरी तरह संतुष्टि होकर दुकान से बहार निकल गये।

स्टोर मैनेजर ने उनकी बातचीत को सुन लिया और महसूस किया कि *इस सेल्समैन ने अपने दिमाग की उपस्थिति (presence of mind) का इस्तेमाल किया और स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला। उसने अपने व्यवसाय के साथ-साथ ग्राहक को भी नहीं खोया।*

सही समय पर सही निर्णय लेना ( that is presence of mind ) वास्तव में मन की उपस्तिथि है। पर अक्सर ऐसा होता है कि हमारा मन या तो भूत की घटनाओं में खोया रहता है या भविष्य की चिंता में डूबा रहता है और हम उस पल में पूरी तरह से उपस्थित नहीं रह पाते हैं।।