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zainab chapter 01
मैं ज़ैनब की अम्मी.मेरा नाम जानना इतना ज़रूरी नहीं है क्यू की जब से में वजूद में आई हु तब से लोग मुझे ज़ैनब की अम्मी के नाम से ही पहचानते है.आज मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है. अभी थोड़ी देर में मेरी ज़ैनब का नाम अनाउंस होगा और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठेगा.और एक बार फिर सब मुझे ज़ैनब की अम्मी के नाम से पहचानेगे.
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आज मेरा ससुराल में पहला दिन है.सुबह नमाज़ से उठी हुई हूँ लेकिन रूम के बहार जाने से डर लग रहा है.फिर भी मेने रूम का दरवाज़ा थोड़ा तो खुला रखा है अगर कोई देख ले तो ये न कहे...