उपहार
लीला एक मध्यम वर्गी परिवार से थी , उसकी बहू सुशीला जिसे कुछ ही महीने हुए थे ब्याह कर आए हुए । सुशीला जो की एक आधुनिक जमाने की सोच रखने वाली आधुनिक लड़की थी। उसे अपने इस नए घर के तौर तरीके नहीं आते थे , फिर भी वह कोशिश करती है अपने आप को उसके अनुसार ढलने की। लीला जो की सुशीला की सास है , सुशीला को कुछ खास पसंद नहीं करती थी उसका कारण भी था वो यह था की सुशीला हर सवाल में तर्क करने लग जाती थी , जो की लीला को बिलकुल पसंद नहीं था। एक बार ऐसे ही लीला ने सुशीला से कहा बहु लल्ला के लिए तुलसी वाला चाय बना दे , पर मां जी तुलसी वाला बनाने की क्या जरूरत है आज कल तो चायपत्ती में भी ये सारी चीज़े डली होती है , लीला गुस्से से कहती है ठीक है तुझे जैसा ठीक लगे वैसा कर ।
वैसे तो लीला को कोई शिकायत ना थी अपने बहु से फिर भी कुछ चिढ़ी चिढ़ी सी रहती थी उससे हर काम में उसे डांटती थी
बहु ये क्या है तूने ठीक से झाडू नहीं लगाया है , शाम हो गई है छत से कपड़े...
वैसे तो लीला को कोई शिकायत ना थी अपने बहु से फिर भी कुछ चिढ़ी चिढ़ी सी रहती थी उससे हर काम में उसे डांटती थी
बहु ये क्या है तूने ठीक से झाडू नहीं लगाया है , शाम हो गई है छत से कपड़े...