...

7 views

"काला हार"
पल्लवी ने कालेज में अभी नया नया दाखिला लिया था पल्लवी पढ़ाई में बहुत मेधावी छात्रा थी। पल्लवी थोड़ी शांत प्रकृति की थी इसलिए उसकी कालेज में बस दो ही सहेलियां थी दीप्ति और सरोज ।
उसी कालेज में किशन भी पढ़ता था और पल्लवी के क्लास में भी आता था मगर पल्लवी ने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था। किशन मन ही मन पल्लवी को पसन्द करने लगा था, उसकी मासूमियत और प्यारी सी सूरत उसे बहुत अच्छी लगती थी मगर वो अब तक पल्लवी से कुछ कह नहीं पाया था।
देखते ही देखते पल्लवी और किशन दूसरे वर्ष में आ गए और किशन के दोस्त भी उससे कहने लगे यार अब नहीं तो कब तू उसे अपने मन की बात बताएगा,मगर किशन शांत रहता। एक दिन ,
कालेज में एक नृत्य नाटिका का आयोजन किया जा रहा था जिसमें पल्लवी ने भी भाग लिया था वो एक राजकुमारी बनी थी,किशन ने भी अपना नृत्य का टेस्ट दिया और उसे भी सेलेक्ट कर लिया गया राजकुमार के रोल में। विजेन्द्र को महराज का रोल मिला और सरोज को महारानी, चारों बहुत खुश थें जहां विजेन्द्र किशन का दोस्त था वहीं सरोज पल्लवी की सहेली थी। टीचर ने तय करा कि कालेज के बाद एक महीने तक नाटक की रिहर्सल होगी।
अब तो किशन मन ही मन बहुत खुश हुआ कि चलो इसी बहाने अब उसे पल्लवी के साथ रहने का मौका मिलेगा।
चारों रोज़ कालेज के बाद रिहर्सल के लिए रूक जातें। किशन एक खूबसूरत युवक था अब तक भले पल्लवी ने किशन पर ध्यान न दिया हो मगर यहां वो रोज़ किशन से मिलती थी न जाने कब राजकुमारी की सी तड़प राजकुमार के लिए अभिनय करते करते वो सचमुच किशन को पसंद करने लगीं। उधर विजेन्द्र भी खूबसूरत सरोज पर मर मिटा। होते-होते जिस दिन नृत्य नाटिका का आयोजन किया गया वो इतना जीवंत बन गया था कि सबको बहुत पसंद आया पूरा हाल तालियों की गरगड़ाहट से गूंज उठा। चारों को उनके उत्कृष्ट अभिनय और नृत्य के लिए इनाम दिया गया। इस बीच चारों ही आंखों आंखों में अपने प्रेम का इजहार कर चुके थे बस जुबां से कहना था। इसके लिए भी विजेन्द्र ने पहल की और किशन के दिल की बात पल्लवी को बता दी और उधर किशन ने विजेन्द्र के दिल की बात सरोज को बता दिया बाद में जब असलियत का पता पल्लवी और सरोज को चला तो दोनों ने किशन और विजेन्द्र को खूब दौड़ाया।
दिन इसी तरह हंसी खुशी गुजरने लगे और चारों ने स्नातक पूर्ण कर लिया और परास्नातक करने लगे। परास्नातक पूर्ण होते ही पल्लवी और सरोज ने टीचर का जॉब करना शुरू कर दिया और किशन और विजेन्द्र भी एक ही कंपनी में जॉब करने लगे ।
चारों ने अब विवाह करने का फैसला लिया और घरवालों से बात की , आजकल प्रेम विवाह आम बात हो गई है और माता पिता को भी कोई आपत्ती नही होती लिहाजा चारों का विवाह भी धूमधाम से हो गया। सरोज विजेन्द्र के साथ विवाह उपरांत एक खुशहाल जिंदगी जीने लगी, दूसरी ओर पल्लवी भी किशन के साथ विवाह करके बेहद खुश थी,मगर उसके जीवन में ऐसे कई रहस्यों से उसका सामना होना बाकी था जो किशन के घर में ही मौजूद था और खुद किशन और उसके घर वाले भी इस बात से अनभिज्ञ थे।
आख़िर क्या थे वो रहस्य जिनका पल्लवी से सामना होना था? जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग अवश्य पढ़ें।
लेखन समय- 5:54
दिनांक 23.7.24 (मंगलवार)


© Deepa🌿💙