...

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एक लड़की है जो मुझे मुझसे भी ज्यादा जानती है।
जो लफ़्ज़ जुबान पर नहीं आते मेरे
वो उन्हें भी पहचानती है

है एक लड़की जो
मुझे मुझसे भी ज्यादा जानती है।

सूझ–बूझ में मुझसे आगे रहती है
वो थम जाती है
जब दुनिया आगे भागती है

मसरूफ रहती हैं वो ना जाने किस गांव में
त्योहारों में, पायल पहनती है वो अपने पांव में

मेरी कहानियों को बड़े इत्मिनान से सुनती है
मेरे शब्दों को अपनी पलको पर रख कर
शायद वो भी ख्वाब बुनती है

कुछ छुपाता हूं उससे
तो ना जाने कैसे जान जाती है
हर बार मेरा मुखोटा हटा कर
मेरी सच्चाई पहचान जाती है

उसे रासतो की परवाह नहीं है
वो खुद को लहर मानती है
एक लड़की है जो मुझे
मुझसे भी ज्यादा जानती है।

मैं ना सुनू तो गुस्सा हो जाती है
अगर सुन लू तो मुस्कुराती है
मैं उदास रहूं तो समझाती है
मैं चुप रहूं तो मेरा सर सहलाती है
मैं खफा रहु तो मुझे मनाती है।

मेरी नाकामयाबियों पर थोड़ा हक जताती है
थोड़ी बेसुरी है पर फिर भी गा कर सुनाती है
मैं परेशान न करू तो खुद ही परेशान हो जाती है
इतनी तिलस्मी हो कर भी
वो मुझे अपना दोस्त मानती है
एक लड़की है जो मुझे
मुझसे भी ज्यादा जानती है।

हां..हां मैं मजाक बहुत करता हूं
और उसे खोने से भी बहुत डरता हूं
उसकी नापसंद भी मेरी पसंद है
उसकी आवारगी में मेरी आजादी बंद है

मैं शब्द रखता हूं,वो जज़्बात उठाती है
मेरे कोरे कागज पर
किसी कविता जैसी उतर जाती है

पर पूरी कविता में भी वो कहां खड़ी उतरती है
रोज़ भला कहाँ जन्नत से ऐसी परी उतरती है

मैं उम्मीद न छोड़ दू इस्लीये मेरा हाथ थामती है
मुझसे ज्यादा मेरे सपनों को वो हकीकत मानती है

उसे रासतो की परवाह नहीं है
वो खुद को लहर मानती है
एक लड़की है जो
मुझे मुझसे भी ज्यादा जानती है।
एक लड़की है जो मुझे
मुझसे भी ज्यादा जानती है।