एक लड़की है जो मुझे मुझसे भी ज्यादा जानती है।
जो लफ़्ज़ जुबान पर नहीं आते मेरे
वो उन्हें भी पहचानती है
है एक लड़की जो
मुझे मुझसे भी ज्यादा जानती है।
सूझ–बूझ में मुझसे आगे रहती है
वो थम जाती है
जब दुनिया आगे भागती है
मसरूफ रहती हैं वो ना जाने किस गांव में
त्योहारों में, पायल पहनती है वो अपने पांव में
मेरी कहानियों को बड़े इत्मिनान से सुनती है
मेरे शब्दों को अपनी पलको पर रख कर
शायद वो भी ख्वाब बुनती है
कुछ...
वो उन्हें भी पहचानती है
है एक लड़की जो
मुझे मुझसे भी ज्यादा जानती है।
सूझ–बूझ में मुझसे आगे रहती है
वो थम जाती है
जब दुनिया आगे भागती है
मसरूफ रहती हैं वो ना जाने किस गांव में
त्योहारों में, पायल पहनती है वो अपने पांव में
मेरी कहानियों को बड़े इत्मिनान से सुनती है
मेरे शब्दों को अपनी पलको पर रख कर
शायद वो भी ख्वाब बुनती है
कुछ...