हमारे दरमियां भी कोई था
17 दिसंबर अर्चु के जन्म की तारीख जिसे हमेशा कोसती थी अर्चु मगर इस बार वो बहुत खुश थी की वो अपने पहले प्यार से मिलने जा रही थी।
वो जब भी मिलते जगह हमेशा किसी न किसी भगवान का मंदिर होता और वो ये जानबूझ के नहीं चुनते थे बस अचानक से हमेशा ही ऐसा होता वो दोनो सोचते की भगवान भी उनके साथ हैं वो बहुत खुश थे
वो एक बार मिले और दूसरी बार में बहुत करीब आ गए
इस बात से अर्चु डर गई थी मानो जैसे वो थी ही नहीं
उसे यकीन नहीं होता था की वो ही थी उस रात...
वो जब भी मिलते जगह हमेशा किसी न किसी भगवान का मंदिर होता और वो ये जानबूझ के नहीं चुनते थे बस अचानक से हमेशा ही ऐसा होता वो दोनो सोचते की भगवान भी उनके साथ हैं वो बहुत खुश थे
वो एक बार मिले और दूसरी बार में बहुत करीब आ गए
इस बात से अर्चु डर गई थी मानो जैसे वो थी ही नहीं
उसे यकीन नहीं होता था की वो ही थी उस रात...