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इच्छा पर नियंत्रण
एक गांव में एक गरीब आदमी था उसके पास एक गधा था वह अपना और अपने परिवार का पेट लकड़ी बेचकर भरता था वह इतना गरीब था कि उस गांव में लोग उसे गरीबदास कहते थे 1 दिन गरीबदास लकड़ियां काटने एक जंगल में गया वह रोज जिस जंगल में जाता था उसी जंगल में गया लेकिन वहां एक भी लकड़ी नहीं मिली उसने सोचा वह चलो आज थोड़ा आगे चलते हैं वह चलते-चलते एक पेड़ के पास गया उस पेड़ को काटते काटते उसे शाम हो गया वह गधे पर लकड़ी को रख दिया फिर जाते-जाते गरीबदास और गधे को प्यास लग गई गरीबदास अपनी नजर चारों तरफ घुमाया तो उसे एक जेल दिखा वह गधे को उसी झील के पास ले गया और दोनों पानी पीकर चले तभी गरीबदास को एक साधु दिखा वह साधु के पास गया और बोला कि बाबा मैं बहुत गरीब हूं और उसने अपनी पूरी कथा बताई साधु को दया आ गई उसने गरीबदास को एक अंगूठी दिया और बोले कि तुम इससे जो मांगोगे वह मिलेगा लेकिन अगर तुम्हारी इच्छा सीमा से बाहर हो गई और तुम्हारा घमंड बढ़ गया जो तो तुम्हारे अंगूठे तुम्हारे हाथ से निकल जाएगी गरीबदास अपने घर गया और जो मांगता वह मिल जाता वह धीरे-धीरे महल बंगला गाड़ी सब मांग लिया वह धीरे-धीरे गरीबदास करने लगा उसके पास नौकर भी हो गए उसने वह बहुत काम करा था और पैसे बहुत कम देता वह बहुत घमंडी हो गया वह साधु की बातों को भूल गया और अपने इच्छा को पूरा करता गया और लोगों को दुख देना शुरू कर दिया उसने पूरी हद ही पार कर दी फिर 1 दिन बाद आया और उसका पूरा धन बाढ़ में बह गया और वह हाथ मल कर रह गया वह फिर से गरीबदास कहाने लगा वह उसे समझ में आ गया कि जो इच्छा हो पर निरंतर नहीं रखेगा वह इंसान का नष्ट होना निश्चित है तो हमें हमेशा अपने आप निरंतर रखना चाहिए।


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