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बच्चों को डांटकर हर बात समझाना सही परवरिश का हिस्सा नहीं:-
बच्चों को डांटकर हर बात समझाना सही परवरिश का हिस्सा नहीं:-
जब हम एक मुरझाए हुए पौधे को पानी देना शुरू करते हैं तो उसमें भी नए पत्ते आने शुरू हो जाते हैं। (डॉ.श्वेता सिंह) वैसे ही अगर बच्चों की परवरिश कर रहे हैं, भले वो गुस्सा कर रहे है फिर भी आप उन्हें बहुत ही प्यार से बोलेंगे और उसे समझाएंगे तो धीरे धीरे आपका मीठा स्वभाव का असर उनपर जरूर होगा।
अगर आप घर के बड़े अनेक परिस्थितियों में अपना आपा खोए बिना पार हो जाएंगे तो यह एक आदर्श उदाहरण बच्चें के मन पर अंकित होगा।
लेकिन यदि आपने बच्चे को डांटकर पीटकर समझाया तो इसका मतलब है कि उनकी सही परवरिश आपसे नहीं हो रही है। यह ठीक वैसा ही है कि अगर आप पौधे को प्यार से पानी न दें तो वह भी धीरे-धीरे मुरझाने लगता है। आज हम अपने बच्चों के साथ क्या कर रहे हैं उसे खाना भी खिलाते हैं, पढ़ने के लिए भी कहते हैं तो साथ में डांटते भी हैं मतलब हम पौधों को पानी भी दे रहे हैं और साथ में डांट भी रहे हैं।
आप चाहें तो इसे लेकर एक छोटा सा प्रयोग कर सकते हैं, एक पौधे को बहुत ही प्यार से पानी दें और दूसरे पौधे को इच्छा न होते हुए भी पानी दें। दोनों पौधों की growth में आपको बहुत अंतर दिखेगा।
यह हमारे विचारों का प्रभाव है जो हमसे पौधे को मिल रहा है। जब हमारे विचारों का प्रभाव पौधे, चिड़िया, पशु और प्रकृति पर पड़ सकता है, तो क्या इसका प्रभाव हमारे बच्चों, परिवार और खुद पर नहीं पड़ेगा?
आप सारा दिन जो सोच रहे हैं उसका खुद पर कितना असर पड़ रहा है ? जैसे unhealthy खान पान से इस शरीर को आप कितना चला पाएंगे।
वैसे ही अच्छी सोच के बिना अपने मन को ठीक चलाना भी मुश्किल है। मन स्वस्थ नहीं तो हम धीरज जल्दी खो देते है।
इसलिए पहले खुद पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि नकारात्मक विचारों और बातों से अपनी रक्षा कर सकें। अपनी आसपास की वायुमंडल का भी।
अगर हमारे विचार अच्छे नहीं हैं, किसी के लिए गुस्सा, नफरत, ईर्ष्या है,या फिर हम सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए सोचते हैं तो इसका मतलब है कि हम खुद आत्मा अच्छे गुणों व संस्कारों से पोषित नहीं है। तो बच्चो को अच्छे संस्कार कैसे दे सकेंगे। बच्चे बड़ो के बोलचाल,सोच,व्यवहार को देख देख कर ही सीखते है।
मैंने बहुत कुछ हासिल कर लिया है, लेकिन आत्मा आध्यात्मिक ज्ञान से पोषित नहीं है, तो हमसे कभी भी अच्छे विचार उत्पन्न नहीं होंगे। और बच्चो को भी अच्छे संस्कार नहीं दे पाएंगे।
बच्चे गलती करे तो बच्चो से बैठाकर शांति से बात करें। उनकी गलती पर अनेक बार समझाना पड़े तो भी धैर्यता से ही समझाए। वो जरूर समझेंगे।
बच्चों को सुधारना मुश्किल बात नहीं बस उनके संग की सम्भाल करें। उनको बुरी ,आलसी,हिंसक बनाने वाली आदतों, चीजों से बचाये।
बच्चो का मन बहुत कोमल होता है। वो जो भी फ़िल्म ,वीडियो देखते है उसका गहराई से उनकी फीलिंग पर असर होता है।इसलिए उनके सामने हिंसक, अश्लील,या कपट छल वाली फिल्म या सीरियल, ना देखे ना उन्हें दिखाए।
उन्हें अपना दोस्त बनाकर रखें ताकि वो अपनी हर बात आपसे शेयर कर सकें।
सच बोलने पर उन्हें सराहे और झूठ बोलने पर चिल्लाए नहीं बल्कि किसी कहानी द्वारा युक्ति से झूठ बोलने के नुकसान समझाये। बच्चों को सही गलत कि पहचान जरूर करवाएं ताकि बच्चे सही गलत के अंतर को समझ सकें।(डॉ.श्वेता सिंह)

© Dr.Shweta Singh