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समाज और समाज के लोंगो की विचारधाराएं
मेरे अनुसार लोगों की विचारधाराओं के सृजन में समाज की अहम भूमिका है क्योंकि समाज ही वह दर्पण है जिससे लोग अपने आसपास घट रही घटनाओं को देखकर इक विचारधारा का निर्माण करते हैं। जिस प्रकार की घटनाएं समाज में होती हैं उसी से लोग अपनी विचारधारा बना लेते हैं कि ऐसा ही हर क्षेत्र , हर प्रांत में होता होगा। अगर समाज में अच्छे कार्य हो रहे हैं तो लोगों की विचारधारा उसी तरफ गतिशील होकर अच्छे विचारों का निर्माण करती है ,जिससे लोग समाज के हित के बारे में सोचते हैं। यदि समाज में बुरे कार्य हो रहे हैं तो समाज की विचारधारा बन जाती है कि प्रत्येक दिन ही तो ये कार्य हो रहा है तो इसमें क्या बोलने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में लोगों की विचारधारा को बनाने में चंद उच्च पदों पर विराजमान राजनीतिज्ञों का अहम योगदान है वह जानबूझकर ऐसे कृत्यों को प्रस्तुत करते हैं जिससे लोगों की विचारधारा इंसानियत से हटकर एक विशेष समुदाय जाति या धर्म के लोगों के प्रति सोचे व एक घृणात्मक विचारधारा बनाए। उनकी विचारधारा में इस प्रकार से लगातार परिवर्तन करवाया जाता है जिससे समाज में जो अशिक्षित(पढ़े-लिखे अशिक्षित जिनको केवल डिग्रियाँ प्राप्त हैं पर उचित- अनुचित का ज्ञान नहीं है और जो निरंकुश अशिक्षित गांव के लोग अथवा जो गरीब हैं )उनकी विचारधारा एक तरफ केंद्रित हो जाती है और इन्हीं सब कारणों से लोग जीवन में अपनी सफलताओं के उन उच्चतम शिखरों पर पहुंच रहे हैं जहां वे पहुँचना चाहते हैं ।
आज हर वह व्यक्ति जो की एक समुदाय को दूसरे समुदाय के प्रति हिंसा,घृणा या द्वेष की भावना उत्पन्न कराने के लिए प्रेरित कर रहा है यह सभी एक असभ्य समाज की विचारधारा को लोगों के मनों में प्रतिस्थापित करने के लिए जिम्मेदार हैं । अगर मैं एक उदाहरण दूं तो आज के नौजवान अधिकतर जो ऐसी जगह से शिक्षा ले रहे हैं जो किसी तथ्य पर आधारित नहीं है वे सोचते हैं कि गांधीजी हर प्रकार से गलत थे जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। अब आप ही सोचिए कि उस समय में जब भारत परतंत्र था उस समय उस व्यक्ति ने बिना जाति, मजहब या धर्म का नाम लिए केवल एक राष्ट्र के नाम पर पूरे जनमानस को एकत्रित करने का काम किया और भारत को आजादी दिलाई फिर भी कुछ जो लोग हैं जिन्होंने समाज के अंदर ऐसे विशेष कृत्यों को प्रदर्शित किया जिससे लोगों की विचारधारा बन गई कि महात्मा गांधी सही नहीं थे जबकि यह बात पूरी तरह से तर्कहीन और शर्मनाक है। यही विचारधारा है जो अब सृजन की जा रही है और यही समाज को प्रभावित करेगी। जिसप्रकार जिसकी विचारधारा होगी उसी प्रकार से वह व्यक्ति अपने मस्तिष्क से सोचेगा और अपने कार्य को अंजाम देगा । अगर आप फोर व्हीलर चला रहे हैं और यदि आपकी टक्कर साइकिल वाले से हो जाती है तो लोगों की यह विचारधारा बन चुकी है कि गलती फोर व्हीलर वाले की ही होगी जबकि हो सकता है कि गलती साइकिल वाले की हो । इसी प्रकार यदि किसी पुरुष और महिला की लड़ाई हो जाती है तो भले ही पुरुष सही हो पर लोगों के विचारधारा के अनुसार महिला ही सही मानी जाएगी और पुरुष के खिलाफ कार्यवाही होगी।
मेरे विचार से किसी व्यक्ति की विचारधारा बनाने में जितना समाज का योगदान है उतना ही उस समाज के सृजन करने में लोगों की विचारधारा का योगदान है यह दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं अगर आप की विचारधारा अच्छी हुई तो अच्छे समाज का सृजन होगा यदि समाज अच्छा हुआ तो अच्छी विचारधाराओं का सृजन होगा और यदि समाज ही अच्छा नहीं हुआ तो विचारधारा अच्छी कैसे हो सकती है? इस पूरे जीवनकाल और पूरे विश्व , समाज में विचारधाराओं का ही खेल है । आज आप देख सकते हैं कि अगर किसी समुदाय के एक व्यक्ति ने गलत काम किया है तो उस समुदाय के प्रति लोगों की विचारधारा इस प्रकार से बन जाती है कि जैसे वह पूरा समुदाय ही उस कार्य के लिए दोषी हो और इन सब विचारधाराओं के बनने का परिणाम यह है कि आज समाज में जितना आपस में द्वेष है उतना कभी नहीं था और यह आगे हो सकता है यह कहने की बात नहीं है क्योंकि जैसे आज विचारधाराओं के बल पर ही भाई- भाई पर विश्वास नहीं कर रहा है क्योंकि उसने अपने समक्ष ऐसे कृत्यों को देखा है जिससे उसकी विचारधारा बन गई है अगर ऐसा कार्य हो रहा है तो जो उसका दूसरा अनुज/अग्रज भाई है वह भी ऐसा ही सोच रहा होगा जबकि यह सारे परिपेक्ष में सही नहीं है। यह विचारधाराओं का खेल नहीं तो और क्या है कि बिना कुछ जाने या समझे हम किसी व्यक्ति के प्रति अपनी ऐसी सोच बना ले रहे हैं जो किसी भी प्रकार से तथ्यात्मक और सत्य नहीं है फिर भी हम उसी विचारधारा के अनुसार आगे बढ़ते जा रहे हैं और कार्य करते जा रहे हैं। जिस प्रकार से वर्तमान समय के नौजवान और लोग अपनी विचारधारा बनाते जा रहे हैं और उसके अनुसार कार्य करते जा रहे हैं तो वह दिन दूर नहीं है जिस दिन इस समाज से सभ्यता और संस्कृति खत्म हो जाएगी और हर तरफ हिंसा और घृणा ही होगी।
© Phoenix