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#कालीकुर्सी
#कालीकुर्सी
भईया इस कुर्सी की क्या कीमत है बताना जरा। किस कुर्सी की, इसकी? पास पड़ी कुर्सी के तरफ़ इशारा करते हुए, नंद ने कहा। नंद इस दुकान में काम करने वाला एक मुलाज़िम है। तभी सरिता ने कहा नही भईया ये वाली नहीं, ये वाली तो मेरे बाबू को पसंद ही नहीं आएगी। उसकी पसंदीदा रंग काला है, मुझे वो वाली कुर्सी चाहिए। दूर पड़े शीशे के उस पार पड़ी आलीशान काली कुर्सी, किसी राजा की सिंहासन सी जान पड़ रही थी , देखने में ही लग रही थी कि इसकी किमत बहुत अधिक होगी परन्तु फिर भी नंद ने हिम्मत करते हुए पूछ ही लिया कि भाई जी इस कुर्सी की क्या किमत होगी ., दुकान मालिक ने उस कुर्सी का मूल्य बताया पांच हजार रूपये, बस रेट सुनकर दोनो चौंक गए... नंद की मासिक तनख्वाह ही छह हजार थी.. बस फिर क्या था नंद चुप चाप वहाँ से निकल लिया..
© #vipwali