प्यार की एक कहानी:- भाग-१
बाहर झमाझम बारिश हो रही थी। खूब तेज बारिश। ईशू ने खिडक़ी से झाँका। बारिश की भीनी-भीनी खुशबू उसके
तन-मन को महका रही थी। मौसम बड़ा सुहाना हो रखा था। ऐसे मौसम में कोई भी एक ख्वाबों की सुनहरी दुनिया में खो सकता है; जहाँ वह अपने प्रियतम के साथ कुछ घड़ियां बीताना चाहे।
ऐसा ही ईशू के साथ भी हो रहा है। जैसे-जैसे बारिश की रफ्तार तेज होती जा रही है; वैसे ही उसके अंतर्मन में भी बहुत सी स्मृतियाँ घर कर रही हैं। उसे याद आने लगता है वो बीता हुआ वक्त जो अक्सर उसके ज़हन को छू जाता है। वो गुजरे हुए पल जो उसके लिए किसी ख्वाब से कम नहीं थे, क्योंकि तब वह साथ थी अपने प्यार के।
वह प्यार ; जो जब उसकी जिंदगी में आया था; तो वह मानो साँतवे आसमान पर थी। वह उड़ रही थी सतरंगी आसमान में ख्वाबों के पंख लिए अपने प्रेमी के साथ। पहले प्यार का अहसास ही कुछ ऐसा होता है। यह सब कुछ भुल जाने को आतुर करता है; और खुद को एक उन्मुक्त पंछी की भाँति कुलांचें मारने को उत्साहित करता है।
ईशू भी अब सब जग-दुनिया को भुलाकर अपने प्रेमी से घंटों बातें किया करती थी। वह अपनी भावी जिंदगी के ख्वाब बुनने में लगी थी। एक अच्छी जिंदगी की चाहत उसके मन में हिलोरें भर रही थी; एक ऐसी जिंदगी जहाँ सिर्फ वह और उसका प्यार हो। वह जीना चाहती थी।
ईशू याद करने लगती है; कैसे वह अपने प्यार नरेश से पहली बार मिली थी। तब भी बारिश का ही मौसम था। वह अपने अपार्टमेंट में से बारिश का नजारा ले रही थी; कि एक लड़का बाहर बारिश में भीगे जा रहा था। वह बारिश की बूँदों का आनंद ले रहा था किसी बच्चे की भाँति। ईशू को उसकी ये हरकत काफी बचकानी लग रही थी; पर वह उसे देखे जा रही थी। वो पूरी तरह से भीग चुका था। भीगे बाल, भीगे कपड़ों में तर-बतर वह लड़का रोड़ पर खड़ा था। कुछ देर बाद उसकी बस आ जाती है और वह वहाँ से चला जाता है।
अगले दिन ईशू अपने ऑफिस जाती है और देखती है कि वही लड़का उसी ऑफिस में है। उसे पता चलता है कि वो आज ही इसी ऑफिस में अपॉइंट हुआ है और उसी का कॉलीग है; यानी अब वह उसी के साथ काम करने वाला है। ईशू को पता चलता है कि उसका नाम नरेश है............
क्रमशः...
(ईशू और नरेश की पहली मुलाकात कैसी रही। जानने के लिए पढ़िए अगला भाग)
नीर कुमार 'निर्मोही'
तन-मन को महका रही थी। मौसम बड़ा सुहाना हो रखा था। ऐसे मौसम में कोई भी एक ख्वाबों की सुनहरी दुनिया में खो सकता है; जहाँ वह अपने प्रियतम के साथ कुछ घड़ियां बीताना चाहे।
ऐसा ही ईशू के साथ भी हो रहा है। जैसे-जैसे बारिश की रफ्तार तेज होती जा रही है; वैसे ही उसके अंतर्मन में भी बहुत सी स्मृतियाँ घर कर रही हैं। उसे याद आने लगता है वो बीता हुआ वक्त जो अक्सर उसके ज़हन को छू जाता है। वो गुजरे हुए पल जो उसके लिए किसी ख्वाब से कम नहीं थे, क्योंकि तब वह साथ थी अपने प्यार के।
वह प्यार ; जो जब उसकी जिंदगी में आया था; तो वह मानो साँतवे आसमान पर थी। वह उड़ रही थी सतरंगी आसमान में ख्वाबों के पंख लिए अपने प्रेमी के साथ। पहले प्यार का अहसास ही कुछ ऐसा होता है। यह सब कुछ भुल जाने को आतुर करता है; और खुद को एक उन्मुक्त पंछी की भाँति कुलांचें मारने को उत्साहित करता है।
ईशू भी अब सब जग-दुनिया को भुलाकर अपने प्रेमी से घंटों बातें किया करती थी। वह अपनी भावी जिंदगी के ख्वाब बुनने में लगी थी। एक अच्छी जिंदगी की चाहत उसके मन में हिलोरें भर रही थी; एक ऐसी जिंदगी जहाँ सिर्फ वह और उसका प्यार हो। वह जीना चाहती थी।
ईशू याद करने लगती है; कैसे वह अपने प्यार नरेश से पहली बार मिली थी। तब भी बारिश का ही मौसम था। वह अपने अपार्टमेंट में से बारिश का नजारा ले रही थी; कि एक लड़का बाहर बारिश में भीगे जा रहा था। वह बारिश की बूँदों का आनंद ले रहा था किसी बच्चे की भाँति। ईशू को उसकी ये हरकत काफी बचकानी लग रही थी; पर वह उसे देखे जा रही थी। वो पूरी तरह से भीग चुका था। भीगे बाल, भीगे कपड़ों में तर-बतर वह लड़का रोड़ पर खड़ा था। कुछ देर बाद उसकी बस आ जाती है और वह वहाँ से चला जाता है।
अगले दिन ईशू अपने ऑफिस जाती है और देखती है कि वही लड़का उसी ऑफिस में है। उसे पता चलता है कि वो आज ही इसी ऑफिस में अपॉइंट हुआ है और उसी का कॉलीग है; यानी अब वह उसी के साथ काम करने वाला है। ईशू को पता चलता है कि उसका नाम नरेश है............
क्रमशः...
(ईशू और नरेश की पहली मुलाकात कैसी रही। जानने के लिए पढ़िए अगला भाग)
नीर कुमार 'निर्मोही'
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