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ज़िन्दगी_के_20_वर्ष_और_आप_की_माेहब्बत
#ज़िन्दगी_के_20_वर्ष_और_आप_की_माेहब्बत

मैने अपनी ज़िन्दगी काे 3 हिस्से में रखा है 20×3=60 ज़िन्दगी का एक हिस्सा मुकम्मल हुआ (वैसे ज़िन्दगी और माैत अल्लाह के बस में है कब किसको कूच करना हाे कुछ नहीं पता)
इसमें बचपन काे जीया( शरारत वाले दिन) और फिर...