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समाज के चार लोग
ना जाने इस समाज के चार लोगों क्या हो गया है जो आज मौन साधे बैठे हुए हैं जहां आज 30 साल की नारी का रेप एक 20 साल का नौजवान कर रहा है समाज के 4 लोग आज क्यों नहीं उसे डांटने आ रहे हैं चलो डांटने ना सही मगर समझाने क्यों नहीं आ रहें हैं ना जाने समाज को क्या हुआ है आज समाज के चार लोग मौन साधे क्यों बैठे हुए हैं मुझे लगता है उन चारों में से ही कोई एक है वह 20 साल का नौजवान नहीं तो हमारे समाज के 4 लोग चुप नहीं होते लगता है वह चुपचाप अपनी गलती छुपाना चाह रहा है लेकिन आज के नौजवान तो अपनी जीवनशैली में इतना डूबे हुए हैं कि उन्हें खाने तक की सुध नहीं है तो वो इतना कैसे डगमगा गए कि उन्हें सही और गलत के बीच का फासला ही नहीं समझ आ रहा है वो वक्त कहां गया जब लक्ष्मण स्त्री के गलत चरित्र होने पर उनके नाक काट देते थे लेकिन खुद चरित्रहीन नहीं होते थे मुझे वह लक्ष्मण चाहिए आज के कलयुग में ना जाने क्यों आज समाज के 4 लोग चुप बैठे हुए है क्यों नहीं उठ कर एक थप्पड़ मारते हैं और बोलते हैं कि क्या कर रहे हो क्यों कर रहे हो यह वही स्त्री है जो तुम्हारा भविष्य बनाऐ गी यह तुम्हें जन्म देने वाली है यह नारी है शक्ति है प्रकृति है यही तुम्हारा कल है इसी से तुम्हारा कुल है क्यों नहीं यह समाज एक स्त्री को एक नारी को सम्मानीय दर्जा देता है क्यों उसे सिर्फ संभोग की चीज समझ कर रख दिया है आखिर क्यों और कब तक मुझे वह दौर वापस चाहिए जब रूढ़िवादी संस्कृति चरम पर थी क्योंकि उस समय सच्चाई इतनी ज्यादा बाहर नहीं आती थी क्योंकि आज तो सच्चाई बाहर आती है सुनाई जाती है और खत्म हो जाती है सजा -सजा कहां मिलता है और खबर सुनकर सिर्फ तकलीफ हो रही है मैं कुछ कर नहीं पा रही हूं और आप कुछ करना नहीं चाह रहे हो इसी में तो जीवन का पहिया चलता जा रहा है आखिर कब यह पहिया रुकेगा अब डर लगने लगा है इतनी गंदगी समाज में देख कर सिर्फ यही सोच रही हूं कि आज समाज के 4 लोग चुप क्यों है क्या इतना आम हो गया है या फिर जरूरत ही नहीं है इस पे बात करने की हमें हर एक दिन एक रेप केस जरूर आता है क्यों रेप करना जरूरी है आखिर क्यों किया जाता है रेप मुझे नहीं समझ में आ रहा है कि समाज के 4 लोग चुप क्यों बैठे हुए चलो माना कि हम स्त्रीयांँ बहुत गलत है हमें बोलना नहीं आता हमें चलना नहीं आता हमें कपड़े पहनेना नहीं आता मगर तुम्हे तो बोलना सुनना समझना सब आता है तुम तो शक्तिमान हो सर्वश्रेष्ठ हो तुमसे ग़लती कैसे हो गई तुम कैसे नारी की अस्मिता को ऐसे छिन्न-भिन्न करने लगे हे पुरुष श्रेष्ठ क्यों
मुझे तुमसे ज्यादा समाज के उन चार लोगों से सवाल करना है जो हर बार सवाल उठाते हैं आज मुझे उनसे सवाल करना हैआखिर क्यों चुप बैठे हो क्या रेप करना सही है जिन्होंने रेप किया आखिर वह समाज के किस कोने में दुबक कर बैठ गए हैं क्या समाज के 4 लोग उसे ढूंढ नहीं पा रहे हैं या अपनी बिरादरी का समझ की सजा नहीं दे पा रहे हैं या फिर समाज के 4 लोग भी रेपिस्ट ही हैं आखिर क्या बात है कि समाज के 4 लोग चुप बैठे हैं मौन साधे बैठे हैं
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