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"तोहफा"
ये कहानी आज से १०० साल पहले की है तब न टेलीविजन का जमाना था न रौशन सड़कों पर लोगों का आना जाना था,उस समय तो ८०० बजे ही रात्रि में शुमार होता था।
साहिल की मिठाई की दुकान थी और उसके दुकान की मिठाईयाँ लोगों को खूब पसंद आती थी,दुकान बंद करते और सभी कर्मचारियों के जाने के बाद उसे दुकान बंद करते करते ८०० से ८:३०बज जातें थे,उस दिन भी साहिल को दुकान बंद करते करते ८:३०बज गए थे, साहिल ने अपनी साईकिल उठाई और चल पड़ा घर की ओर अभी वो कुछ दूर ही गया था कि पीछे से उसे किसी की आवाज़ आई मुझे जरा आगे मोड़ तलक़ छोड़ देगें आप,उसनें जैसे ही पीछे मुड़कर देखना चाहा आवाज आई नहीं मुझे न देखे आप बस उस मोड़ तलक़ छोड़ दे तो आपकी बहुत दया होगी हम पर,साहिल ने हामी भर दी और वो शख़्स साहिल के पीछे बैठ गए।
साहिल ने आवाज से अन्दाजा लगाया वो कोई मध्यम उम्र के शख़्स होंगे
खैर एक मोड़ आने पर वो रुकने को बोले तो साहिल ने साईकिल रोक दी और वो शख़्स उतर गए साहिल को उनका चेहरा बिलकुल नही दिख रहा था क्योंकि उनका पूरा जिस्म एक लबादे से ढका था,खैर उन्होंने जातें वक्त साहिल को एक मिठाई का डिब्बा देते हुए उसका बहुत आभार व्यक्त किया और बोला ये डिब्बा तुम्हें किसने दिया है इसका जिक्र किसी ने न करना और चले गए।
साहिल ने घर आकर मिठाई का डिब्बा रूखसार को थमा दिया और मुंह हाथ धोने चला गया,रूखसार ने देखा तो बोलीं ये डिब्बा तो आपके दुकान का नहीं लगता किसने दिया?
साहिल ने कहा"अरे एक दोस्त है मेरा उसने दिया "
और फिर दोनों खाना खाने बैठ गए जब खाना खाने के बाद दोनों ने मिठाई खाई तो वो जैसे उन्हें अमृत समान लगीं इससे पहले उन्होंने इतनी लजीज़ मिठाई नहीं खाई थी साहिल को तो अपने दुकान की मिठाई भी इसके आगे फीकी लगीं,खैर सुबह साहिल फिर अपने दुकान में जाकर मसरूफ़ हो गया लेकिन शाम ढलते हीं उसे पिछली रात वाली घटना याद आ गई और वो घड़ी देखने लगा अभी ७:००बज रहे थे यनि एक घन्टा बाकी था,आज साहिल ने सोच रखा था कि वो उनसे बहुत कुछ पूछेगा,मगर नियत समय पर जब वो शख़्स उसके साईकिल में बैठे और साहिल ने जैसे ही उनसे उनका नाम पूछा तो वो बोले तुम मुझसे कोई सवाल नहीं करोगे नहीं तो मैं कल से नहीं आऊंगा,साहिल खामोश हो गया और सोचने लगा कि आखिर ये शख़्स क्यों अपने आप में इतनी रहस्यों को समेटे हुए है?
खैर मोड़ आने पर वो उतर गए और जातें जातें साहिल को फिर मिठाई का डिब्बा सौप गए।
आज फिर साहिल के हाथ में मिठाई का डिब्बा देखकर रूखसार बोली"ये क्या आज आपके दोस्त ने फिर आपको मिठाई दी है? "साहिल ने हां में सिर हिलाया।
धीरे-धीरे ये रोज का सिलसिला बन गया और रूखसार की अब हिम्मत जवाब देने लगीं वो रोज साहिल से पूछती मगर वो हूँ हां में ही जवाब देता उस रोज़ रूखसार तैश में आ गई और लगभग चिल्लाते हुए बोली" आज आपको बताना ही होगा कि ऐसा कौन सा दोस्त है आपका जो रोज़ आपको ये मिठाई तोहफे में देता है "साहिल बोला देखों मै उसके बारे में तुम्हें नहीं बता सकता उसनें मना किया है, मगर रूखसार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी तो मजबूरन साहिल को सब कुछ बताना पड़ा, सुनकर रूखसार को भी बड़ा आश्चर्य हुआ।
दूसरे दिन जब साहिल दुकान बंद करके निकला तो वो शख़्स साहिल को कहीं नहीं दिखे,इसी तरह एक हफ्ते से महीने और साल गुज़र गए मगर वो न आये,लेकिन साहिल के लिए एक प्रश्न छोड़ गए,आखिर कौन थे वो जो सिर्फ साहिल को ही दिखते थे क्यों वो खुद को लबादे में रखते थे और क्यों वो खुद के बारे में साहिल को कुछ भी बताना पसंद नहीं करते थे?
© Deepa