जादुई डायरी.....
बात उस समय की है जब रमेश पांचवी कक्षा में पढ़ता था। उसके पिता एक गरीब कृषक थे। उसके यहाँ हमेशा खाने -पीने के लाले पडे़ रहते थे, इसके बावजूद वो अपने पुत्र को पढ़ा- लिखा कर उसे एक सफल और काबिल इंसान के रुप में देखना चाहते थे। एक दिन जब रमेश छुट्टी होने पर विद्यालय से घर लौटा और जब रमेश ने अपना बैग खोला तो उसे उसमें किसी की डायरी मिली उसे देखकर हक्का बक्का रह गया और वो सोचने लगा आखिर ये डायरी किसकी है और बैग में इसे किसने रखा है ? वह डायरी को बड़े ही गौर से उलट - पुलटकर देखने लगा। अचानक डायरी से एक आवाज आयी — ए बालक! ये कोई साधारण डायरी नहीं है, बल्कि यह एक जादुई डायरी है । इस डायरी में लिखे हूए कार्यों में से तुम्हें प्रतिदिन एक कार्य करना है और बदले में...