श्रीमद्भागवद ओर विज्ञान
जब सागर स्वयं धरती पर हि है तो धरती को उसी पे सिथित सागर में कैसे डुबाया जा सकता है।
जब भी भगवान विष्णु के वराह अवतार कि बात होती है तो एक विशेष नास्तिक तपका उसका मज़ाक़ बनाता नज़र आता है व कुछ उसको मिथ्या या मनघडन्त कहानी बता के अठहास व उपहास करते नज़र आते है।
कुछ कुतर्क करते है की जब सागर स्वयं धरती पर हि है तो धरती को उसी पे सिथित सागर में कैसे डुबाया जा सकता है।
उनकी ये बात बिलकुल सही भी है, भला कैसे पृथ्वी को उसी पे सिथित सागर में डुबाया जा सकता है, यह संभव है हि नहीं।
लेकिन उनका ये कुतर्क स्वयं उनकी ख़ुद कि मानशिक विकास, मन्धबुद्दी, मूर्खता व अज्ञानता को दर्शाता है।
ऐसी बाते कर के वो सव्यम् को सत्यापित मूर्ख घोषित कर देते है।
पहली बात तो श्रीमद्भागवत...
जब भी भगवान विष्णु के वराह अवतार कि बात होती है तो एक विशेष नास्तिक तपका उसका मज़ाक़ बनाता नज़र आता है व कुछ उसको मिथ्या या मनघडन्त कहानी बता के अठहास व उपहास करते नज़र आते है।
कुछ कुतर्क करते है की जब सागर स्वयं धरती पर हि है तो धरती को उसी पे सिथित सागर में कैसे डुबाया जा सकता है।
उनकी ये बात बिलकुल सही भी है, भला कैसे पृथ्वी को उसी पे सिथित सागर में डुबाया जा सकता है, यह संभव है हि नहीं।
लेकिन उनका ये कुतर्क स्वयं उनकी ख़ुद कि मानशिक विकास, मन्धबुद्दी, मूर्खता व अज्ञानता को दर्शाता है।
ऐसी बाते कर के वो सव्यम् को सत्यापित मूर्ख घोषित कर देते है।
पहली बात तो श्रीमद्भागवत...