घुटन
कितना घुटन होता होगा न उस इंसान को जब कोई उसका गला जबर्दस्ती दबा रहा हो। वो चीखना चिल्लाना चाह रहा है , मगर चिल्ला नही सकता है सांस लेना चाह रहा है मगर सांस नही ले पा रहा है।उसका सुकून चैन सब खत्म हो जाता है ।और एक समय ऐसा आता है जब उसकी सहनस्क्ति खत्म हो जाती है और वो अपनी आखें हमेशा के लिए बंद कर लेता है।।
ऐसा ही कुछ लगता होगा न उस इंसान को भी जो दबाव मे दिमागी तौर से । उलझा हुआ है अपनी जिंदगी में ,करना तो बहुत कुछ चाहता है ।मगर बार बार हार जाता है, कितना दबाव होता होगा न ऐसे इंसान पर समाज का घर का मां बाप से सब से। तनाव मे जी रहा है। ऐसे में धीरे धीरे वो इंसान सब से खुद को दूर कर लेता है।
चुप हो जाता है न हंसता है तो ज्यादा किसी से बात करता है
अपनी बस एक अलग दुनिया बना लेता है । खुद मे ही रहता है , सोचता है , बाते करता है खुद से। क्योंकी वो अपने मन की बात अब किसी से भी नहीं कह सकता है ।कहना तो चाहता है बस कह नहीं पाता है , कितना दबाव होता होगा न इस लोगो पर । हर दिन मर मर के जीना कितना मुस्कील है क्योंकि वो अपनी दिल में उठे तूफान को किसी से बता नहीं सकते है अपनी परेशानी अपनी दुख को किसी को बताना नहीं चाहते है या यूं कहूं कोई सुनने वाला नही होता है
खुद मे जब घुटन होने लगता है तो सांस नहीं आती है रोना चाहते है पर रो नही पाते है ।एक दिन ऐसा आता है की कुछ लोग खुद को संभाल लेते है और इन सब से बाहर आ जाते हैं , पर कुछ ऐसे भी होते है जो अपनी घुटन भरी जिंदगी से बाहर नही आ पाते हैं और अपनी सहन शक्ति खो बैठते है । और इन सब से बाहर आने के लिए खुद की जान ले लेते है।।
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© Aaliya
ऐसा ही कुछ लगता होगा न उस इंसान को भी जो दबाव मे दिमागी तौर से । उलझा हुआ है अपनी जिंदगी में ,करना तो बहुत कुछ चाहता है ।मगर बार बार हार जाता है, कितना दबाव होता होगा न ऐसे इंसान पर समाज का घर का मां बाप से सब से। तनाव मे जी रहा है। ऐसे में धीरे धीरे वो इंसान सब से खुद को दूर कर लेता है।
चुप हो जाता है न हंसता है तो ज्यादा किसी से बात करता है
अपनी बस एक अलग दुनिया बना लेता है । खुद मे ही रहता है , सोचता है , बाते करता है खुद से। क्योंकी वो अपने मन की बात अब किसी से भी नहीं कह सकता है ।कहना तो चाहता है बस कह नहीं पाता है , कितना दबाव होता होगा न इस लोगो पर । हर दिन मर मर के जीना कितना मुस्कील है क्योंकि वो अपनी दिल में उठे तूफान को किसी से बता नहीं सकते है अपनी परेशानी अपनी दुख को किसी को बताना नहीं चाहते है या यूं कहूं कोई सुनने वाला नही होता है
खुद मे जब घुटन होने लगता है तो सांस नहीं आती है रोना चाहते है पर रो नही पाते है ।एक दिन ऐसा आता है की कुछ लोग खुद को संभाल लेते है और इन सब से बाहर आ जाते हैं , पर कुछ ऐसे भी होते है जो अपनी घुटन भरी जिंदगी से बाहर नही आ पाते हैं और अपनी सहन शक्ति खो बैठते है । और इन सब से बाहर आने के लिए खुद की जान ले लेते है।।
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