एक बहाना
बहुत तेज आवाज हुई थी....शायद कुछ टूटा था....हां टूटा था.....और जमीन पर बिखरे पड़े थे कांच के टुकड़े चारो ओर..... वो अपना आंचल संभालते हुए उस आवाज की तरफ तेजी से भागती हुई आती है....वो दरवाजे की ओट पर खड़ी एकटक देख रही थी.....उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था....वो समझने की कोशिश कर रही थी.... कि आखिर उससे गलती क्या हुई..... कि अचानक उसकी आंखें झिलमिलाने लगती है और उसे सब कुछ धुंधला सा दिखने लग जाता है.....उसका चेहरा जर्द पड़ जाता है कि तभी वो अपनी आंखों को बड़े जोर से मीचती है....और फिर सब...