सच का सामना
#भुली_हुई_रसीद
उत्तराखंड के एक छोटे से शहर मे नम्रता नाम की एक लड़की रहती थी। अपने माँ बाप की एकलौती बेटी थी, इसलिए उसे उसके पिता ने हर बात की छूट दे रखी थी। वो पढाई-लिखाई में बहुत ही तेज थी। अपने कॉलेज के अंतिम साल में वो अभी बी-कॉम कर रही थी। उसके माता-पिता बहुत मेहनत करते और अपनी नम्रता की पढ़ाई के लिए फीस इकट्ठा कर जमा करते थे। उसके पिता पोस्ट ऑफिस में छोटे से clerk थे जिनकी तन्ख्वाह से घर चल जाता था। एक छोटा सा घर था उसका जिसमे वो तीनों खुशी से रहते थे। उसकी माँ ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी इसलिए दूसरे के घर में छोटे बच्चे का ख्याल रखती थी। दोनों माता पिता अपनी बेटी का बहुत ख्याल रखते है। उसे कभी भी किसी भी चीज की कमी नही करते है। उसे बी-कॉम करना था इसलिए उन्होंने उसे बड़े कॉलेज मे दाखिल करा दिया और वो पढ़ने मे भी अच्छी थी।
एक दिन की बात है नम्रता के कॉलेज में student vice-president का चुनाव होने वाला था। सबने नम्रता से कहा के तुम क्यों...
उत्तराखंड के एक छोटे से शहर मे नम्रता नाम की एक लड़की रहती थी। अपने माँ बाप की एकलौती बेटी थी, इसलिए उसे उसके पिता ने हर बात की छूट दे रखी थी। वो पढाई-लिखाई में बहुत ही तेज थी। अपने कॉलेज के अंतिम साल में वो अभी बी-कॉम कर रही थी। उसके माता-पिता बहुत मेहनत करते और अपनी नम्रता की पढ़ाई के लिए फीस इकट्ठा कर जमा करते थे। उसके पिता पोस्ट ऑफिस में छोटे से clerk थे जिनकी तन्ख्वाह से घर चल जाता था। एक छोटा सा घर था उसका जिसमे वो तीनों खुशी से रहते थे। उसकी माँ ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी इसलिए दूसरे के घर में छोटे बच्चे का ख्याल रखती थी। दोनों माता पिता अपनी बेटी का बहुत ख्याल रखते है। उसे कभी भी किसी भी चीज की कमी नही करते है। उसे बी-कॉम करना था इसलिए उन्होंने उसे बड़े कॉलेज मे दाखिल करा दिया और वो पढ़ने मे भी अच्छी थी।
एक दिन की बात है नम्रता के कॉलेज में student vice-president का चुनाव होने वाला था। सबने नम्रता से कहा के तुम क्यों...