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मजबूरी part 3
नानी जी की मृत्यु के बाद अब गजरा और गगन की इस घर में कोई इज्जत नहीं ‌ थी,
मामी जी का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था,
एक दिन मामी जी बोली अरे गजरा तूं इस घर को छोड़कर चली क्यों नहीं जाती,
कब तक हमारे ऊपर बोझ बनकर बैठी रहेगी,
गजरा फूट-फूटकर रो रही थी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,
तभी मामा जी आ गए,
मामा जी ने पूछा गजरा क्या हुआ,
गजरा बोली मामा जी कुछ नहीं हुआ बस नानी जी की बहुत याद आ रही थी,
इसलिए मैं रो रही हूं,
मामा जी ने गजरा को शांत कराया,
सुबह का समय था,
गगन चाय पी रहा था उसके हाथ से चाय गिर गया,
इतने में तो मामी जी दौड़ी और गगन को पीटने लगी,
मामी जी बोली पूरा फर्श खराब कर दिया,
तब गजरा बोली मामी जी इसे कोई दंड मत दीजिए मैं फर्श साफ कर देती हूं,
गगन दौड़ता हुआ गजरा से लिपट गया और रोने लगा,
मामा जी यह सब कुछ देख रहे थे,
मामा जी ने मामी जी को बहुत डांटा।
तभी मामी जी बोली मैं इस घर को छोड़कर जा रही हूं,
मामी जी बोली जब तक गजरा और गगन इस घर में रहेंगे तब तक मैं इस घर में नहीं रहूंगी,
तभी गजरा बोली मामी जी आपका घर है आप रहिए, मैं गगन को लेकर जा रही हूं,
मामा जी बोले रुक जा गजरा,
तूं कहां जाएगी,
गजरा बोली जहां मेरा नसीब ले जाएगा,
गजरा और गगन दोनों अपने गाॅंव की तरफ चल दिए,
गजरा मजबूर थी और कर भी क्या सकती थी।
गजरा और गगन अपनी पड़ोस की काकी के घर गए,
काकी बोली गजरा तूं वापस क्यों चली आयी,
गजरा बोली एक साल हो गया मुझे मामा के घर रहते हुए,
अब मेरी नानी इस दुनिया मे नहीं हैं,
मामी जी बिल्कुल नहीं चाहती थी कि हम उनके साथ रहें,
तभी काकी बोली एक ही साल में तेरी मामी तुझसे ऊब गयी और तुझे भगा दी।
काकी बोली अब तू मेरे घर पर काम करना मैं तुझे पेट भर भोजन देती रहूंगी,
काकी बोली चल अब जल्दी-जल्दी काम पर लग जा,
पशुओं के पास से गोबर हटा दे उसके बाद झाड़ू लगा दे फिर बर्तन साफ कर दे,
काकी बोली अरे देख क्या रही है चल काम कर,
अब तो तूं 9 साल की हो गयी है,
जल्दी-जल्दी काम कर,
गजरा काम करने लगी,
गजरा काम करके दिनभर थक गयी थी,
रात के समय खाना खाकर सोने जा रही थी,
तभी काकी बोली बर्तन साफ कर दे तब सोने जा,
गजरा इतनी छोटी सी उम्र में इतना सारा काम कर रही थी,
क्या करे गजरा की मजबूरी थी,
अब अगले दिन सुबह का समय था,
गजरा कपड़े साफ करके छत पर सुखाने के लिए ले जा रही थी,
सीढ़ी पर गजरा का पैर लड़खड़ाया,
गजरा नीचे गिर गयी,
तभी काकी जी आ गयी और गजरा से बोली अरे तूं गिरती कपड़े क्यों गिरा दी,
काकी गजरा की चोटी खींचते हुए उसे उठाई,
और बोली जा फिर से कपड़े साफ कर,
गजरा फिर से पूरा कपड़ा साफ की,
गजरा क्या करे उसकी मजबूरी थी,
काकी बोली अरे अब तूं 9 साल की हो गयी है,
अच्छे से काम किया कर,
गजरा बोली ठीक है काकी मैं अच्छे से काम करूंगी।
गजरा झाड़ू लगा रही थी,
तभी उसका भाई दौड़ते हुए आया और झाड़ू पकड़ लिया,
गजरा बोली क्या कर रहा है मुझे झाड़ू लगाने दे,
भाई बोला मुझे स्कूल जाना है सभी बच्चे स्कूल जाते हैं,
गजरा बोली ठीक है मैं काकी से बात करूंगी,
गजरा काकी से बोली भाई पढ़ना चाहता है,
तभी काकी बोली ज़मीन पर पैर रखने की औकात नहीं है और आसमान में उड़ने के सपने देखती हैं महारानी,
इतने में काकी का बेटा रोहन आ गया,
रोहन बोला ठीक है मैं तेरे भाई का दाखिला करवा दूंगा स्कूल में,
लेकिन मेरी एक शर्त है,
गजरा बोली क्या शर्त है,
रोहन बोला कल मेरा जन्मदिन है, तूं रात में पैरों में घुंघरू बांधकर नाचेगी और सभी लोगों का मनोरंजन करेगी,
गजरा बोली ठीक है,
दूसरे दिन गजरा घुंघरू बांध कर नाचने लगी,
रोहन के दोस्त देख कर हस रहे थे,
9 साल की बच्ची को घुंघरू बांध कर नाचने कहां आता है,
गजरा पैरों को पटक कर बस रो रही थी,
किसी तरह रात बीत गयी,
अगली सुबह काकी बोली तूने मेरे बेटे का मनोरंजन किया है चल तेरे भाई का दाखिला करवा देती हूं,
अब गजरा बहुत ख़ुश थी,
गगन स्कूल जाने लगा गजरा बहुत खुश रहने लगी,
गजरा सोचने लगी मैं भी स्कूल जाती थी,
गजरा को एक साल पहले का हादसा याद आ गया,
गजरा तीसरी क्लास में पढ़ती थी जब उसके माता-पिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थे,
गजरा यह सब सोच ही रही थी कि तभी उसका भाई आ गया,
और बोला दीदी मुझे लिखना बताओ,
गजरा को थोड़ा बहुत लिखने पढ़ने आता था,
गजरा बोली ठीक है बताती हूं लिखना,
तभी काकी आ गयी और बोली कौन सा पढ़ लिखकर तेरा भाई कलेक्टर बन जाएगा चल जा कर काम कर,
गजरा कुछ नहीं बोली और काम करने लगी।