पतिपुजिका की कथा
#पतिपूजिका_की_कथा
#धम्मपद_गाथा_48
स्थानः #जेतवन , #श्रावस्ती
#श्रावस्ती में एक महिला रहती थी। सोलह वर्ष की आयु में ही उसका विवाह कर दिया गया। उसे चार पुत्र हुए। वह विहार जाकर वहाँ सफाई आदि और भिक्षुओं की सेवा करती थी। उसे पूर्व जन्म की बातें जानने की सिद्धि प्राप्त थी। अपने पूर्व जन्म में वह #तावर्तिस देव लोक में मालभारी की पत्नी थी। धरती पर जन्म लेने पर भी उसके मन में सदा यह लालसा बनी रही कि उसका पुनर्जन्म तावतिंस दिव्य लोक में हो और वह एक बार फिर मालभारी की पत्नी बने। वह इसी भावना से भिक्षुओं की सेवा करती थी। चूंकि वह अपने पति को बहुत चाहती थी , मानों उसकी पूजा ही किया करती थी , अतः लोगों ने उसका नाम 'पतिपूजिका' रख दिया था।
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#धम्मपद_गाथा_48
स्थानः #जेतवन , #श्रावस्ती
#श्रावस्ती में एक महिला रहती थी। सोलह वर्ष की आयु में ही उसका विवाह कर दिया गया। उसे चार पुत्र हुए। वह विहार जाकर वहाँ सफाई आदि और भिक्षुओं की सेवा करती थी। उसे पूर्व जन्म की बातें जानने की सिद्धि प्राप्त थी। अपने पूर्व जन्म में वह #तावर्तिस देव लोक में मालभारी की पत्नी थी। धरती पर जन्म लेने पर भी उसके मन में सदा यह लालसा बनी रही कि उसका पुनर्जन्म तावतिंस दिव्य लोक में हो और वह एक बार फिर मालभारी की पत्नी बने। वह इसी भावना से भिक्षुओं की सेवा करती थी। चूंकि वह अपने पति को बहुत चाहती थी , मानों उसकी पूजा ही किया करती थी , अतः लोगों ने उसका नाम 'पतिपूजिका' रख दिया था।
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