...

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ख्यालों में
कल रात ख्यालों में बहता बहता तेरे घर की गलियों में जा पहुंचा । थोड़ा अंधेरा था कहीं थोड़ी रौशनी थी कहीं । भटकता भटकता आखिर पहुंच ही गया तेरे दरवाजे़ पर । तुम्हारे दरवाज़े के साथ वाली
खिड़की खुली देखी नींद में मंद मंद मुस्काती हुई तेरी सूरत नज़र आई । फिर बस तेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा देख तुझे जगाने का मन नहीं किया । सोचा गहरी नींद में खोई किसी से बात कर रही है या किसी के लिए दुआ कर रही है। सच कहूं तो मुस्कान से भरा तेरा चेहरा नूर बरसा रहा था। जैसे आसमान से कोई परी सितारों से उतर कर आई हो। सच्ची मुच्ची ☺
© summit_aroraa