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कसूर किसका-2-
गतांक से आगे....
शालिनी अब घर पहुंच गई थी। आज उस का मन बहुत हल्का महसूस हो रहा था।
अगले दिन रोज की तरह वह कालेज पहुंची।आज धीरज नहीं आया था।
उसकी निगाहें बार बार धीरज को ढूंढ रही थीं।पता नहीं,आज धीरज क्यों नहीं आया, वह मन ही मन कह रही थी। दो लैक्चर समाप्त हो गए थे।
अब फ्री पीरियड था।वह वाचनालय में चली गई। यह क्या...।धीरज वहां संदर्भ पुस्तक पढ़ रहा था।
शालिनी उस के पास चली गई और बोली,अरे धीरज, तुमनें दो लैक्चर नहीं अटेंड किए।क्या कारण है?
आज सुबह मैं अपनी मम्मी को डाक्टर के पास लेकर गया था। धीरज ने कहा।
क्यों?क्या हुआ उन्हें।
अचानक रक्त दाब बहुत अधिक हो गया था।
धीरज ने कहा।
लंच का अन्तराल समाप्त हो चुका था।
दोनों कक्षा में लैक्चर के लिए चले गये।बी.ए.(गणित)आनर्स के दोनों छात्र थे।
समय अबाध गति से चलता रहा।कक्षा के नोट्स बनाना,विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना,एवं परीक्षा की साथ साथ तैय्यारी करना, यही सब चल ही रहा था कि कब अंतिम वर्ष की परीक्षा आ गई, पता ही नहीं चला।
परीक्षाएं समाप्त हो गई। कल परिणाम घोषित होना है।
अगले दिन उत्सुकतावश सबने अपना परिणाम देखा।धीरज के 84.5प्रतिशत अंक आए थे।वह कालेज में तीसरे स्थान आया था।
प्रथम स्थान पर रुचि और दूसरे स्थान पर विनी आये थे। शालिनी को 83.8 प्रतिशत अंक के साथ पांचवां स्थान प्राप्त हुआ। चौथे स्थान पर 84.2प्रतिशत अंक प्राप्त कर महेश था। सब एक दूसरे के अंक पूछ रहे थे और बधाई दे रहे थे।
शाम को 6.00बजे रुचि, विनी धीरज और शालिनी और महेश ने बीकानेर रेस्टोरेंट्स में चाय पार्टी का आयोजन किया।समय पर सब इकटठा हुए।
अब यह उनके कालेज की अंतिम पार्टी थी।
सबनेअपने अपने कैरियर के अनुसार अलग अलग परीक्षा के फार्म भर हुए थे। सबने एक दूसरे का समाचार पूछा और अपनी भविष्य के कैरियर और कार्यक्रम के बारे में बताया।पार्टी समाप्त कर सब अपने अपने घर पर आ गये।
मोबाइल की घंटी बजी।
हैलो... हैलो...धीरज की आवाज थी।
हां ,शालिनी बोल रही हूं।
हैलो,शालिनी, गुड न्यूज...धीरज ने कहा।
बताओ, धीरज,..क्या गुड न्यूज है।शालिनी बोली।
मेरा चयन आई. ए.एस. में हो गया है।प्रिलिम्स और मेन परीक्षा क्लीयर हो गई है। अब इंटरव्यूज की तैयारी है।
धीरज, तुमको बहुत बहुत बधाई।
धीरज,..धीरज...मैं...
क्या हुआ,बोलो शालिनी।
हैलो, हैलो...उधर से कोई उत्तर न पाकर धीरज बेचैन हो गया।
उसने मैसेज पर लिख दिया,शालिनी आप मुझे पांच बजे गांधी पार्क में मिलो।
ठीक पांच बजे वह निश्चित स्थान पर पहुंच गया।
अन्दर बैंच पर दोनों बैठ गए।
शालिनी, तुम ठीक तो हो।
क्या बात थी, फोन पर तुम नहीं बोल पा रहे थे
हम बहुत चिंतित हो गए।
धीरज, मैं तुम्हें चाहने लगी हूं।एक ही सांस में कह गई, शालिनी।
मैं भी तुम्हें चाहता हूं।आई लव यू, शालिनी।धीरज ने कहा। शालिनी यह सुनने को तरस रही थी।
तुम्हारा चयन हो जाने पर तुुम लखनऊ छोड़ दोगे।फिर हम कैसे मिलेंगे,शालिनी ने कहा।
हम मोबाइल एवं मैसेज पर बात कर लिया करेंगे। धीरज ने कहा।
समय निर्बाध गति से उड़ता रहा। चार वर्ष बीत गए।शालिनी का एम.ए.आनर्स पूरा कर संघ लोक सेवा आयोग में सांख्यिकीय अधिकारी के पद पर चयन हो गया था।उसकी पोस्टिंग कानपुर में हुई थी।आज ट्रेनिंग पूरी होने पर वह वापस ट्रेन से लखनऊ लौट रही थी।स्टेशन पर पापा लेने आए थे।शालिनी अपने माता पिता की इकलौती संतान थी।बड़े नाज़ों से पाला था पापा ने उसको।
कब घर आ गया,पता ही न चला।
खाना खाने के बाद पापा ने कहा,बेटा,हम तुम्हारे विवाह के बारे में सोच रहे हैं।विवाह के लिए हमने एक लड़का देखा है। लड़के के पिता की कार की डीलरशिप है।खानदानी परिवार है,दो सौ पचास बीघा जमीन है।केवल दो भाई हैं। लड़का बी.ए.पास है।तुम वहां पर राज करोगी। पापा ने कहा।
पापा, मैं अपनी पसंद से शादी करूंगी या उस लड़के की पसंद से।शालिनी बोली।
क्या कह रही हो बेटा,पापा बोले।
क्या मुझे मेरे जीवन साथी का चयन करने का हक नहीं है?अगर इतनी शिक्षा के बाद भी आप आज मुझे यह हक नहीं दे सकते, तो यह शिक्षा,यह पद सब व्यर्थ है।
क्या तुुम किसी को अपने जीवन साथी के रूप में पसंद कर चुके हो?पापा न पूछा।
हां,पापा,शालिनी ने कहा।
कौन है वह जिसे तुम पसंद करती हो।पापा ने कहा।
मैंने धीरज को अपना जीवन साथी चुना है।वह
आई ए.एस. अधिकारी है एवं हम दोनों एक दूसरे को चाहते हैं।शालिनी ने कहा।
बेटा,हम चाहते है कि अपनी बिरादरी के लड़के से तुम्हारा विवाह हो,पापा ने कहा।
नहीं पापा,अब मुझे अपने जीवन का निर्णय लेने का अधिकार है।मैंवह जानवर नहीं जो घर बदलने के बाद खूंटे पर बांध दिया जाए। शालिनी ने कहा।
अरे..अरे..पापा..क्या हुआ आपको..
पापा यकायक कुर्सी से जमीन पर गिर पड़े। मां रसोई से दौड़ी दौड़ी आई।
एम्बुलेंस में पापा को हास्पिटल ले गए ।आई. सी.यू. में भर्ती किया गया।
डाक्टर ने बताया की उन्हें अचानक दिल का दौरा
पड़ा है।अब शालिनी मायूस हो गई।डाक्टर ने कोई भी शौकिंग न्यूज देने को मना कर दिया था।
हैलो .. हैलो...शालिनी ने धीरज को फोन मिलाया।
पापा, आई सी. यू. में हैं ।
क्या हुआ, धीरज ने पूछा।
शालिनी ने रोते रोते सारी बात बताई। सुन कर उसे बहुत दुख हुआ।
शालिनी, हिम्मत रखो,सब ठीक हो जाएगा।धीरज ने कहा।
मुझे बहुत डर लग रहा है,इस सबका कारण तो मैं ही हूं न।शालिनी ने कहा।
नहीं,ऐसा नहीं कहते शालिनी। धीरज बोला।
अच्छा ओ.के.।
कहते कहते वह फफक फफक कर रो पड़ी।
एक सप्ताह हो चुका था।आज पापा की हास्पिटल से छुट्टी होनी थी।
वे पापा को घर ले आए।
पापा, मुझे माफ कर दो, मैं किसी और के साथ खुश नहीं रह सकती।इसलिए मैंने ऐसा कहा था।.अब जैसी आपकी मर्जी। मैं आपके फैसले को मंजूर करूंगी।
शालिनी ने कहा। वह किसी भी कीमत पर पापा
को खोना नहीं चाहती थी।
नहीं,बेटा, मुझे अपने निर्णय पर पछतावा है।मेरी आयु के कितने दिन शेष हैं,मुझे भी नहीं पता।
अब मुझे धीरज के परिवार के बारे में विस्तृत जानकारी दो। यदि उनके परिवार वाले सहमत हैं,तो मुझे कोई एतराज नहीं है।शालिनी के पापा ने कहा।शालिनी को मुंह मांगी मुराद मिल गई।
शालिनी ने धीरज को संदेश भेजकर सूचना दी।
उन्होंने परिवार की विस्तृत जानकारी भेज दी।
शालिनी के परिवार की ओर से रिश्ते का प्रस्ताव भेजा गया जिसे धीरज के परिवार वालों ने स्वीकार कर लिया।
पापा ने शालिनी को बताया कि आज वे पंडित जी से सगाई एवं विवाह के लग्न और मुहूर्त के लिए जा रहे हैं।
मेरे अच्छे पापा, मेरे अच्छे पापा,कहकर शालिनी
अपने पापा से लिपट गई।आज उसका सच्चा प्यार उसके नाम होने वाला था।
(समाप्त)
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