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थोड़ा खुल कर बोलो
किसी भी व्यक्ति चाहे वो पुरुष हो या महिला, जीवन में ऐसा ज़रूर घटित होता है ,जब वो रिश्तों को बचाने,परिस्थितियों से मजबूर या किसी अपने की खुशी के बारे में सोचते हुए अपने मन की बात मन में ही दबा देते है,दूसरों को खुश करने के लिए सारा जीवन अपना मन मारते मारते एक दिन खुद ही मर जाते है।यह कहानी ज़रूर है लेकिन कहीं न कहीं हम सभी के साथ कई मर्तबा ये हुआ जरूर है।आशा है आप सभी को पसंद आए..!🙏

*थोड़ा खुल कर बोलो ...*
बोलो गंगा माँ,कुछ तो बोलो, हम समझ नहीं पा रहे है।आपको क्या खाना है? किसी से मिलना है?कोई बात मन से मत रखना जो कुछ भी खाना पीना है या कुछ भी कहना है आप बोलो मांँ ..? देखो पूरा परिवार सब आपके पास ही है आपके भाई भतीजे,आपके दोयते पोते भी सब जॉब से छुट्टी ले कर आ गए हैं।बस आप कुछ मन में मत रखना।
इतना कहकर वह भीगी हुई आंखों से दिवाल की ओर देखने लगा।
गंगा मांँ जो कि 95 वर्षीय एक वृद्धा है।आज इनको डॉक्टर ने घर भेज दिया और कहा कि अब भगवान के हाथ में है हम कुछ नहीं कर सकते।आप इनकी सेवा...