खोया हुआ ऊँट
एक बार एक व्यापारी था. वह ज्यादा अमीर नहीं था. उसके पास एक उंट था जो ज्यादा खूबसूरत नहीं था, पर वह उस उंट से प्यार करता था. एक दिन, वह उंट को देखने गया मगर उंट वहां नहीं था. उंट गायब हुआ था. ‘अरे, मेरा उंट कहाँ गया? मेरा उंट, कहाँ है वह? उसने हर जगह देखा; सब जगह ढूंडा, मगर उसे अपना उंट नहीं मिला.
आखिर, उसने तीन अजनबियों को अपनी ओर आते हुए देखा. पेड़ों से घिरे हुए एक रास्ते से वह चल के उसकी तरफ आ रहे थे. जब वे उसके पास पहुचे, उसने पहले आदमी को रोक कर पूछा: ‘क्या आपने मेरे उंट को देखा है?’
‘तुम्हारा उंट एक आँख से अँधा है.’
‘हाँ, यह सच है; मेरा उंट एक आँख से अँधा है. कहाँ है वह?’
पर वह आदमी चलता गया.
अब दूसरा मुसाफिर आ पंहुचा.
‘क्या आपने मेरा उंट देखा है?’
...
आखिर, उसने तीन अजनबियों को अपनी ओर आते हुए देखा. पेड़ों से घिरे हुए एक रास्ते से वह चल के उसकी तरफ आ रहे थे. जब वे उसके पास पहुचे, उसने पहले आदमी को रोक कर पूछा: ‘क्या आपने मेरे उंट को देखा है?’
‘तुम्हारा उंट एक आँख से अँधा है.’
‘हाँ, यह सच है; मेरा उंट एक आँख से अँधा है. कहाँ है वह?’
पर वह आदमी चलता गया.
अब दूसरा मुसाफिर आ पंहुचा.
‘क्या आपने मेरा उंट देखा है?’
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