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सरकारी स्कूल का प्यार...!!
पांचवीं तक स्लेट को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं "विद्यामाता" नाराज न हो जायें इसलिए कई दफा गुरु जी से पानी पीने की छुट्टी मांगकर "स्लेट" को नल के नीचे धो लाते थे।

पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था।
"पुस्तक के बीच विद्या , पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था"।

कपड़े के थैले में...