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भंवर के लफ्ज़
यह बुक " Bhanwar Mandan " के द्वारा लिखी गयी हैं | इसमें उनके द्वारा लिखी हुई शायरी , सुविचार , आदि हैं |
©bhanwarmandan36


शाम होते ही मुझे तुम्हारी याद आती हैं |
क्या तुम्हारे शहर में शाम नहीं होती हैं ?

बदन में दर्द हो रहा था, दवा का असर फ़िका पङ गया था
लोगो ने हकीम ढूंढा , लेकिन मैं उसकी यादों का मारा था

मैं जब भी लिखने बैठता हूँ , दर्द मेरा
दिल में ख्याल आता हैं , बस तेरा

मेरी जिन्दगी में ग़मों की बारिश हुई |
जिसमे मेरे अपने नहीं भीगे |

चेहरे पर छायी गमो की लाली दिल के दर्द को बया करती है |
हुस्न पर मरने वाले क्या जाने दिल टूटने के बाद रूह मे जान कैसी रहती है |

तुम्हारी बिखरी हुई ज़ुल्फ़े और यह नसीली अदाएँ सीधे दिल पर वार करती हैं |
जब तुम हंस कर मेरे सामने आती हो खु़दा क़सम लाजवाब लगती हैं |

सच्ची मोहब्बत केे केवल दो ही अंजाम निकलते हैं ,
कुछ शायर या कुछ शराबी बन जाते हैं ,

हम आपसे मोहब्बत करते हैं इसलिए आज कमाल कर दू हमारी मोहब्बत के किस्से सरेआम कर दू |
तुम तो मेरी नहीं हो सकी , मगर तुम्हारी यादो में, आज मैं खुद ख़ुशी कर लू |

हमे तुमसे बेहिसाब मोहब्बत है ,तुम्हारे लिए हर दर्द सहना चाहते हैं |
कभी तुम मेरे पास तो बैठो , हम तुम पर किताब लिखना चाहते हैं |

लिख रहा हूँ कुछ गज़ब की बाते , तुम जरूर पढ़ना |
अगर रोने पर मजबूर ना कर दू , तो फिर कहना |

तुम बड़े हसीन लगते हो कहीं ये खुदा की रहमत तो नहीं
आज कल तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा है कहीं हमें आपसे मोहब्बत तो नहीं


हर पल यादो के सहारे तुझे महसुस कर रहा हूँ
तुम आओगे मुझसे मिलने इसी पल का इंतजार कर रहा हु

मैं लिखने बैठा मोहब्बत केे किस्से मेरी कलम की स्याही बेवफा निकल गयी |
धोखेबाजी केे किस्से लिखने थे , मगर वो बातें दिल से निकल गयी |

हम तुम्हारी अदाओ पर मरते हैं ,
मगर तुम्हारा हुस्न भी क़ाबिल ए तारीफ़ हैं

तुम्हारी यादों को महसुस करने, मैं तुम्हारे शहर आ गया हूँ |
तु छोड़ कर चली गयी , मगर तुझे भूलने की दवा तेरे ही शहर से लेने आया हूँ |

मोहब्बत में मजनू मैं भी बन जाऊ ,
मगर लैला जैसी लड़की कहाँ से लाऊ ,

मेरी माँ मेरी तूलना हीरो से करती है |
तेरी मोहब्बत में रद्दी के भाव बिक गया हु |

तुम बाद - ए - सबा की तरह हो,
जो कुछ पल केे लिए आती हो,

हम बोहोत एहतियात से चले , मंजिल की राहो में
फिर भी कुछ अपनो ने बाधा उत्पन कर दी , राहो में

हमे फक्र हैं अपनी मोहब्बत पर
बेवफाई के इलज़ाम नहीं लगे , हम पर


तुम कहते हो तुम्हारा इश्क से कोई तालुकात नहीं
कल मैखाने से निकले थे , तुम यह बात कोई झूठी तो नहीं


मेरे लिखे अल्फाज तुम तक पहुँचने लगे हैं
सुना है तुम गैरो से मेरी खैरियत पुछने लगे |


हमने कभी किसी से राब्ता नहीं रखा |
बेशक तुम मोहब्बत कि बात छोङो


गरीब ए आशिक हैं हम
हमसे बेशक ख्वाइशे पुरी नहीं होगी
मगर कविता लिखने में कोई कमी नहीं होगी

अगर लगे अन्दाजा सागर की गहराई का
तो फिर लगा लो हमारी मोहोब्बत का

गन्ने से नफरत करते हैं , यह शुगर वाले
बस हम भी ऐसा अंदाज़ रखते हैं

यह मेरी मोहब्बत केे दुश्मन मुझे मारने पे उतर आये हैं ,
कोई इन्हे समझाओ उसके जाने केे बाद हम जिन्दा ही कहा बचे हैं

मेरी आँखे झरने की तरह बहती हैं , हर पल उदासी का सामना करता हूँ
अगर मालुम होता मोहब्बत दर्द देती हैं तो यह गलती गलती से भी नही करता

आज कल केे बच्चे मरते होंगे मेहबूब केे चेहरों पर
पुराने ज़माने केे आशिक हैं हम , मरते हैं उनकी अदाओ पर

तुम इश्क़ में धोखा देकर खुद को खु़दा समझते हो , क्या
यह " भंवर " मोहब्बत में बर्बाद हुआ हैं , इसको पागल समझते हो, क्या

अपने दर्द को लफ्जों में लिखने का हुनर रखता हूँ , मैं
आसानी से नही समझ पाओगे मुझे पेशे से शायर हूँ ,मैं

मैं चारो तरफ से थका हूँ हर पल मुझे चोट पड़ती हैं |
कभी इश्क़ कभी जिम्मेदारी , हर पल मुझे मारती हैं |

तुम इश्क़ मोहब्बत को फिज़ूल कहते हो ,
लगता है कभी लपेटे में नहीं आये हो ,


तुमने मारा है अपना मुँह जगह जगह
तुम मेरी मोहब्बत को समझोगे, क्या
लोगो से पूछते हो शख्स कैसा है
मैं कहता हूँ शख्स अच्छा हैं
मगर तुम वफादारी निभाओगे , क्या

हमारा इश्क मुकम्मल नहीं हुआ ,
उसकी यादो को भुलाने के लिए
शराब पीकर देख लिया ,
मगर फांसी का फंदा बाकी रह गया |

मैने तुम्हारे सारे गुनाओ को माफ़ कर दिया |
मगर तुमने जो मेरा दिल तोड़ा था , उसका हिसाब बाकी रख दिया |

मैं रफ़्ता-रफ़्ता तेरा हो गया ,
तू समझी नही , मैं समझाते रह गया ,

गम सस्ते है ,खुशियाँ महंगी हैं |
इसलिए तो सिर्फ ख़ुशी तस्वीरों में हैं |

नसीब बदल जाएंगे एक दिन अपने भी,
तुम हाथ पकड़ कर चलना तो शुरू करो ,

" भंवर " तु इतना खुदगर्ज कैसे हो गया ,
आखिर तेरी जिन्दगी में क्या हादसा हो गया |


हरे भरे पेङ अच्छे नहीं लगते , पतझड़ भी जरुरी है |
यह उदास चेहरे अच्छे नहीं लगते , हँसना भी जरुरी हैं |

मेरी जिन्दगी ने मुझे बोहोत दर्द दिया है ,
मेरी जिन्दगी तुम हो ,क्या तुमने दिया हैं ,

तेरे जाने के बाद हमने शीशे मे चेहरा नहीं देखा ,
तुम काजल लगाती हों , कल हमने बाजार में देखा ,

मंज़िल की राहो में फुल अच्छे नहीं लगते ,
राहो में कांटे हो तो मुसाफ़िर जल्दी नहीं थक ते ,

मेरा एक छोटा सा ख्वाब हैं -
मेरी कलम से कुछ शायरी तो कुछ कहानी लिख दूँ |
फिर एक दिन मैं खुदखुशी को अपने नाम कर दुँ |

जब वो मेरी नहीं हो सकी ,तो किस्मत ख़राब का नाम दे दिया |
यारो मैंने जीते जी मौत का मंजर देख लिया ,

हम अपनी तन्हाई में खुश हैं |
यह मिलना - जुलना तुम्हे मुबारक हो |

जब भी में उसकी गली से गुज़रता , मेरे अंदाज बदल जाते थे |
ना जाने वो लोग कैसे जीते हैं , जो उसकी गली में रहते हैं |

कछुआ चाल सर्फ़ कहानीओ में अच्छी लगती हैं |
हकीकत में चले तो बोहोत पीछे छूट जाओगे |

कछुआ चाल सर्फ़ कहानीओ में अच्छी लगती हैं |
हकीकत में चले तो बोहोत पीछे छूट जाओगे |
© bhanwarmandan36