...

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फिर वही शाम है
ओ प्यारी शाम

इन्तजार करते करते सही समय पर एक तुम ही आते हो और खाली हाथ नहीं, अपने साथ एक हसीन ढलता हुआ सूरज की रंगीन एहसास भी देते हो। अकेले हो या किसी के साथ, बड़े आराम और चैन से गुज़रता है तुम्हारे हर पल और जाते जाते एक दिलकश नशा दे जाती हो। फिर रहता है इन्तजार अगले दिन ढलने का, तुम्हारे आने का ।

जब भी तुम आतें हो ना, तो मेरे दिल में एक हसीन गीत गूँजने लगती है, हर दिन और बहुत खूबसूरत लगता है ये सारा जहाँ।

"झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसीं में इक, हसीन सा सवाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूँ लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है"
© Krishnan
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