सो का नोट
दोस्तों..... कल सुबह दस बजे के आसपास
मम्मी ने सौ रुपये देते हुए कहा....
मोहन बेटा दूध लाना है ...!!
मैं सौ रुपये का नोट कमीज की जेब मे डाला हाथों में थैला लिए मुंह पर मास्क लगाए दूध लेने चला गया ....
अभी गली के मोड तक पहुंचा ही था कि रास्ते पर एक नया सौ का नोट पडा दिखा ....
मैने पहले नोट को देखा फिर यहां वहां कहीं कोई नहीं था लाँकडाऊन के चलते लोग बाहर सिर्फ काम के लिए ही निकलते है....
मैने सौ का नोट उठाया और जेब मे रखने लगा कि
अंतर आत्मा से आवाज आई .....
नाजाने किस मेहनतकश की कमाई है .....
दोस्तों इंसान जब स्वयं मेहनत करता है तो
उसे एक एक रुपये की कीमत का एहसास होता है
मन मे विचार आ रहे थे ऐसे वक्त में जब कहीं कोई रोजगार नहीं है तो ये सौ रुपये जिसके खोए होगे
उसकी कया स्थिति होगी ...
यकीनन मायूस होगा या शायद रो ही रहा हो....
तो अब कया करुं ....
कैसे पता करुं ये सौ रुपये आखिर है किसके ....आसपास किसी से पूछूंगा तो
यदि उसने कहा हां उसके है तो मे तो दे दूंगा ...