मंजर
मंजर है ऐसा कि हाल बयां कर नहीं सकता
मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता
चढ़ गया हूं ऐसे रास्ते पे के अब कोई रास्ता नही बचा वापिस जाने का
चाहू कितना भी लेकिन अब वापिस उतर नहीं सकता
हर बंदा डर नहीं सकता बस तेरे डराने से
क्योंकि कुछ तो प्यार से मानने वाले होते हैं
उन्हें परवाह नहीं पड़ती जमाने से
सोचभर से तो हमारी आंखें तक नहीं झुकती
और तुम किस्मत बदलने की बात करते हो
बिना पूरी कोशिश के तू अपना जीवन बदल नहीं सकता।।
© RAHUL PANGHAL
मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता
चढ़ गया हूं ऐसे रास्ते पे के अब कोई रास्ता नही बचा वापिस जाने का
चाहू कितना भी लेकिन अब वापिस उतर नहीं सकता
हर बंदा डर नहीं सकता बस तेरे डराने से
क्योंकि कुछ तो प्यार से मानने वाले होते हैं
उन्हें परवाह नहीं पड़ती जमाने से
सोचभर से तो हमारी आंखें तक नहीं झुकती
और तुम किस्मत बदलने की बात करते हो
बिना पूरी कोशिश के तू अपना जीवन बदल नहीं सकता।।
© RAHUL PANGHAL
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