वार्णिका - अनोखे प्रेम की दास्ताँ! ( भाग - 4 )
जो महिमा जी वरदान जी के सामने रोने का नाटक कर रही होती है वार्णिका के गालों पर थप्पड़ पड़ते ही वह अंदर ही अंदर खुश हो जाती है और उनके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान छा जाती है,,,, आगे,,,,
लेकिन महिमा जी अपने इस दिखावे को बरकरार रखते हुए वरदान जी से कहती है।
आप यह क्या कर रहे है ? घर की जवान बेटी पर इस तरह हाथ उठाना आपको शोभा देता है क्या ?
वरदान जी :- गुस्से से,,,, तो और क्या करूँ महिमा जिस दिन से लड़की ने मुझसे मेरी जिंदगी छिनी है उस दिन से शायद में खत्म हो चुका हूँ।
यह क्या हो गया है आपको, बच्चो के सामने कैसी बातें कर रहे है। महिमा जी नाटक करते हुए कहती है।
वरदान जी :- उदास होकर,,,, मैंने कुछ गलत नही कहा महिमा काश यह पैदा ही न हुई होती और काश इसकी वजह से मैंने अपनी विद्य,,,,,,,
इतना बोलते ही वरदान जी अचानक से चुप हो जाते है और बात बदलते हुए कहते है।
खैर यह सब छोड़िये। अगर इसने गलती की है तो इसको सजा भी जरूर मिलेगी और इसकी सजा यह है की अभी से लेकर कल सुबह छह बजे तक यह इसी कमरे में भूखी प्यासी बंद रहेगी।
वरदान...
लेकिन महिमा जी अपने इस दिखावे को बरकरार रखते हुए वरदान जी से कहती है।
आप यह क्या कर रहे है ? घर की जवान बेटी पर इस तरह हाथ उठाना आपको शोभा देता है क्या ?
वरदान जी :- गुस्से से,,,, तो और क्या करूँ महिमा जिस दिन से लड़की ने मुझसे मेरी जिंदगी छिनी है उस दिन से शायद में खत्म हो चुका हूँ।
यह क्या हो गया है आपको, बच्चो के सामने कैसी बातें कर रहे है। महिमा जी नाटक करते हुए कहती है।
वरदान जी :- उदास होकर,,,, मैंने कुछ गलत नही कहा महिमा काश यह पैदा ही न हुई होती और काश इसकी वजह से मैंने अपनी विद्य,,,,,,,
इतना बोलते ही वरदान जी अचानक से चुप हो जाते है और बात बदलते हुए कहते है।
खैर यह सब छोड़िये। अगर इसने गलती की है तो इसको सजा भी जरूर मिलेगी और इसकी सजा यह है की अभी से लेकर कल सुबह छह बजे तक यह इसी कमरे में भूखी प्यासी बंद रहेगी।
वरदान...