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ज़िन्दगी चलती जाती हैँ
उसका UPSC का आखरी एटेम्पट था | प्री तो क्लियर कर लेती थी पर मेंस में अटक जाती |
'सिया सहाय 'एक मिडिल क्लास संयुक्त परिवार की लड़की थी | उसकी फैमिली काफ़ी बड़ी थी |
दादा, दादी, ताया,ताई जी, चाचा, चाची , उनके बच्चें और मम्मी पापा और वो |
वह अपने मम्मी पापा की एकलौती बेटी थी |
वह सारे कजिन्स पढ़ाई में बहुत अच्छे थे |
क्लास 10th सारे बच्चों की पढ़ाई एक ही स्कूल में हुई, लेकिन 10th के बाद घर के लड़कों को आगे पढ़ने के लिए हॉस्टल भेज दिया गया |
और दादा जी ने उसका दाखिला पास के कॉलेज में कराया | उसने ज़िद की तो सबने समझाया, घर से दूर दूसरे शहर में रहना लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं हैँ, उसका सपना मनोवैज्ञानिक बनने का था, लेकिन उसके कॉलेज में साइकोलॉजी की सुविधा नहीं थी,तो मन मसोस कर उसे हिस्ट्री और पोलिटिकल साइंस सब्जेक्ट लेना पड़ा |
बेटी के उतरे हुए चेहरे को देख कर उसके पापा राकेश जी ने उसे मनाते हुए कहा..." ग्रेजुएशन के बाद तुम्हें upsc की तैयारी के लिए दिल्ली भेजूंगा |
मेरी बेटी UPSC क्रैक करके आईएस अधिकारी बनेगी |"
"सच पापा " सिया खुशी से झूम उठी
ग्रेजुएशन में उसने बहुत अच्छे मार्क्स स्कोर किये थे |
"पापा आपको अपना वादा तो...