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संक्रांति काल- पाषाण युग ३
योग्य नायक-जादोंग

अम्बी शिकार भी करती और उसने खाने योग्य कुछ जडों को भी खोज निकाला था जो खाने में स्वादिष्ट तो थी हीं साथ ही शरीर का बल भी बढाती थी। अम्बी को शिकार करने से ज्यादा आनन्द वन के भीतरी हिस्सों को खोजने
में आता था जहाँ अंधकार की अधिकता के कारण पुरुष जाने से डरते थे। कुछ ऐसे ही फल भी उसने वन के मध्य भाग में जाकर खोजे ,जिन के खाने के बाद शिकार के लिए अतिरिक्त बल का अहसास होता था।

शुरू में धारा को भय लगता था अम्बी के साहस से ,मगर धीरे धीरे उसे गर्व होने लगा अपनी उत्पत्ति पर । अब बस वो अम्बी के योग्य पुरुष का इंतजार कर रही थी पर शायद अभी तक उनके वन पर दुसरे गुफापुरुषों की नजर नहीं पड़ी थी ।

अम्बी उस दिन बहुत गह्वर वन में पहुँच गयी थी ,और उसने एक सुअर को मार गिराया था।  इतना बड़ा शिकार इससे पहले उसकी गुफा का कोई पुरुष भी नहीं कर पाया था । बड़ा और खतरनाक शिकार करने की प्रसन्नता और गर्व का अहसास थोड़ी ही देर में जाता रहा । इतने भारी शिकार को लेकर जाना अम्बी के लिए जरा भी आसान नहीं था । भीमकाय सूअर को साबुत ले जाने के लिए चार मजबूत पुरुष भी कम पड़ते ,फिर वह तो अकेली युवती थी ।

चिंता को परे झटक कर अम्बी उसकी चमड़ी हटाकर काटने का प्रयास करने लगी , पत्थर में धार थी मग़र मजबूत खाल कटने में नहीं आ रही थी ।  वो थककर एक पेड़ के सहारे बैठी ही थी कि एक गुर्राहट ने उसे चौंका दिया  ।वो एक सिंह था ,जो अम्बी को ही देख कर गुर्रा रहा था। शायद उसे अपने क्षेत्र में अम्बी का अनाधिकृत प्रवेश पसंद नहीं आया था ।

अम्बी थक तो गई थी ,पर जीवन की कीमत समझती थी, उसने उस दानवाकार सिंह से नजर हटाए बिना ही, अपने पास रखा शक्तिवर्धक फल खाया और बहुत तीव्रता से
सिंह के ऊपर...