जीवन सिर्फ अपना नहीं ( part 4)
.".फर्क पड़ता हैं, जिसने हमें बनाया हैँ उस भगवान को फर्क पड़ता हैँ | उसने हम सब को किसी ना किसी उद्देश्य से भेजा हैँ, जब तक हमारा उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता हमें अपनी ज़िन्दगी जीनी पडती हैँ चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों ना हो |
किसको कितनी साँसे लेनी हैँ ये रब की रजामंदी से तय होता हैँ |"
साहिल अब कुछ शांत हो चूका था, वह अपनी हथेलियों को देख रहा था |
उस आदमी ने उसके हाव - भाव को गौर से देखा फिर कहा...
किसको कितनी साँसे लेनी हैँ ये रब की रजामंदी से तय होता हैँ |"
साहिल अब कुछ शांत हो चूका था, वह अपनी हथेलियों को देख रहा था |
उस आदमी ने उसके हाव - भाव को गौर से देखा फिर कहा...