इंसानियत
बैशाख का महिना था। राजेश अपने दफ़्तर में बैठकर काम कर रहा था। बाहर से शोर सुनाई दिया। उसने घंटी दबाकर चपरासी को अंदर बुलाया। चपरासी के आते ही राजेश ने उसे पूछा, "क्या हुआ, किसकी आवाज़ है? किस बात शोर मचा है"?
उसने कहा, " कुछ नहीं साहब, एक बुजुर्ग आदमी है। उनका कुछ काम है, बहुत समय हुआ उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता। हर दो- चार महीने में आकर बाप बेटा दोनों मिलकर हंगामा करते है"। राजेश को उसकी बात अच्छी नहीं लगी। राजेश ने तुरंत चपरासी को उन दोनों को अंदर भेजने के लिए कहा। थोड़ी देर में लगभग अस्सी से भी ज्यादा उमर के सरदारजी...