...

7 views

मैं, टीपूँ और परी…. भाग-५
हम दोनों बातें करते जैसे-जैसे नज़दीक जा रहे थे, मेरी धड़कन पता नहीं क्यों बड़ रही थी। वैसे भी आज दिन खिला हुआ था और दूर-दूर तक सब साफ़-साफ नज़र आ रहा था। परी का हाथ मेरे हाँथो में था और मुझे इसका एहसास भी हो रहा था, लेकिन! मेरी चिंता तों टीपूँ की ओर बढ़ रही थी । मुझे यह भी चिंता थी कि परी के घर वाले परी की फ़िक्र कर रहे होंगे और कहीं मेरे घर वालों को यह ना बोल दे, कि परी और मैं पहाड़ी की ओर गये हैं ।

टीपूँ हमें कहीं नहीं मिल रहा था। परी मुझसे बार-बार...