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बिना कुछ कहे नजरों से समझ
कभी कभी नजरे बहुत कुछ कह देती है,इन नजरों को अगर कोई समझ जाए तो ऐसा लगाता है,की खून के रिश्ते ही ज़रूरी नहीं होते हैं, किसी को समझाने के लिए ऐसा ही कुछ माला मैम के साथ हुआ।
मैम एक स्कूल की शिक्षिका थी, जैसा उनका नाम वैसा ही उनका स्वाभाव जैसे माला मोतियों को बांध कर रखती हैं वैसे मैम भी अपने रिश्ते को बांध कर रखती थी , मैम का स्वाभाव मिलनसार था ।

हर बच्चे से अच्छा व्यवहार करती थी और इसलिए बच्चे भी मैम को सम्मान देते थे, कुछ बच्चो को वो बहुत अच्छे से जानती थीं और कुछ का बस नाम जानती थी।

एक दिन की बात है , मैम क्लास में लेट पहुंची और बिल्कुल बदहवास लग रही थी,सारे बच्चे उनको देख तो रहे थे पंरतु किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ा या ये कहें समझ ही नहीं पा रहे थे की मैम डरी और बदहवास है।
रोज की ही तरह आते ही मैम ने अटेंडेंस लेना शुरू किया , परंतु उनका हाथ कांप रहा था और गला सुख रहा था ,ये सब देख कर भी पूरी क्लास में बच्चो को अजीब नहीं लग रहा था। क्लास में मैम की कुर्सी भी नहीं थी ,मैम खड़े हो कर अटेंडेंस ले रही थी ।
ये सब भी देखा कर किसी बच्चे को अटपटा नहीं लगा ,परंतु एक लड़की जो मैम को दिखी और बिना कुछ जानें की उनके साथ क्या हुआ और बिना कुछ कहे क्लास से उठी और मैम के लिए कुर्सी लाई। मैम के पास रखा दिया और मैम उसपर बैठकर अटेंडेंस लेने लगी।

अटेंडेंस लेने के बाद मैम ने कहा आज मेरा मन पढ़ने का मन नहीं हैं,आप लोग जो आपके काम पूरे न हुए हो वह कर लो और यही कहकर मैम अपने केबिन में चली गई ,वहां जाकर मैम ने पानी पिया और थोड़ा शांति से बैठी गई ,थोड़ी देर बाद एक लड़की आई और उसने कहा वह लड़की कौन थी ,जिसने मैम के लिए कुर्सी लाई थी ,तभी निकिता खड़ी हुई उसने बोला मैंने लाया था । जो लड़की बुलाने आई थी ,उसने कहा आपको मैम बुला रही हैं ,निकिता मैम के पास गई तो मैम ने कहा तुम्हे कैसे पता चला कि मैं सामान्य अवस्था में नहीं हूं ।
निकिता ने कहा मैम आपको देखकर मुझे लगा कि आपके साथ कुछ हुआ है ,और आपकी इतनी भी स्थिति नहीं थी कि आप सही से खड़े हों सको,इसीलिए मैं बिना पूछे आपसे दूसरे क्लास से कुर्सी लेकर आई ।
मैम ने कहा कि पूरी जिंदगी में मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊंगी क्योंकि आज सच में मैं घर से निकली थी ,और मेरा एक्सीडेंट होने से वाला था पंरतु मैं भगवान की कृपा से बच गई ,और इसलिए मेरा मन बहुत ही व्यथित था ।
जब मैं क्लास में पहुंची थी तो मैं अपने होश में नहीं थी ,मैं बहुत डरी हुई थी परंतु बिना कुछ जाने बिना कुछ समझ तुमने यह जान लिया कि मैं डरी हुई हूं ,और तुमने जाकर मेरे लिए कुर्सी लाई यह बहुत बड़ी बात है । तुम जिंदगी में बहुत आगे जाओगी निकिता।
थैंक यू निकिता थैंक यू सो मच कि मैंने कहा।

शायद मैम को भी लगा की क्लास में इतने सारे बच्चे थे , पंरतु सब में से सिर्फ निकिता को ही समझ में आया कि मैं किसी बात से परेशान हूं और यह जो समझ है बिना कहे बिना कुछ बोले जो समझ जाता हैं ये अपने में बहुत बड़ी बात है।

–अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी –
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