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तेरी-मेरी यारियाँ! ( भाग-19 )
गीतिका :- क्या,,, कहाँ तूने निवान,,, मेरी अकल घुटनों मे है। मेरे पास अकल तो है। तेरे पास तो वो भी नही है।

निवान :- अरे यार,,,,,एक तो यह लड़की हर बात का बुरा मान जाती है।

पार्थ :- चिढ़ते हुए,,,,,तुम दोनो ही चुप रहो और गीतिका तू उसके कहने का मतलब है। अभी तेरी शादी लायक उम्र ही कहा है जो तेरी माँ तेरी शादी की बात कर रही है।

निवान :- मुस्कुराते हुए,,,,,, नही भाई तू गलत बोल रहा है, सही तो वो समझी है।

गीतिका निवान की बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए उन दोनो से ही बोलती है।

गीतिका:- उदास होकर,,,,, वही तो मैं तुम दोनो को बोल रही हूँ की अभी तो मैं बेचारी एक छोटी सी लड़की हूँ।

निवान :- माथे पर हाथ मारते हुए,,,,हे भगवान,,,,एक तो कभी  इसका बेचारी छोटी सी लड़की वाला नाटक नही खत्म होता है।

गीतिका :- रोने जैसी शकल...