वाक्यपटुता
प्राचीन काल की बात है मथुरा के कालिंदी तट पर एक राज्य हुआ करता था। जिसमें एक शक्तिशाली शासक राज्य किया करता था। उसकी राजधानी से कुछ दूरी पर मनोरम जंगलों से घिरा हुआ है एक सुंदर गांव था। वहां के लोग सुख पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।
बसंत कालीन दुपहरी में राजा के दूत कुछ मुनादी कर रहे थे और वह जोर-जोर से चिल्ला रहे थे सुनो सुनो सुनो राजा के हाथी को आप लोगों के गांव में छोड़ा जा रहा है आप इस हाथी को समय पर भोजन पानी देना और कहीं यह मर गई और इसकी सूचना कोई लेकर राजा के पास गया और बोला की हाथी मर गई है तो उस व्यक्ति को मृत्युदंड दिया जाएगा। इतना कह कि एक बीमार हाथी को राजा के दूत उस गांव के हवाले करके वहां से चले गए।
गांव के लोग दंड के भय से उस हाथी की सेवा करना आरंभ कर दिए उसे खाने पीने की सभी चीजें ला कर दिया करते थे और सभी काफी दिनों तक उसके साथ सेवा भाव से लगे रहे। किंतु एक दिन वह हाथी मर गई।
पूरे गांव में सन्नाटा छा गया था कि अब राजा को कौन सूचना दी कि हाथी मर गई अगर कोई सूचना लेकर जाता है और वह बोलता है कि हाथी मर गई तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा इसी बात को सोचकर गांव के सरपंच ने एक सभा का आयोजन किया? गांव के सभी लोग एकत्र हुए उन सबके सामने सरपंच ने राजा को सूचना पहुंचाने की बात कही तो सभी थरथर कांपने लगे मृत्युदंड के वैसे कोई भी इस काम को करने में सक्षम न दिखा का तभी एक बूढ़ा ग्रामीण खड़ा हुआ और उसने सरपंच से कहा सरपंच जी मेरा तो बुढ़ापा आ गया है क्यों ना एक अच्छा कर्म करके गांव के लोगों की जान बचाऐं मेरा क्या मैं बूढ़ा बैल मर भी गया तो क्या जाता है?
इतनी बात कह करवा बूढ़ा आदमी राजमहल की ओर रवाना हो गया कुछ समय बाद वह राज महल में उपस्थित हुआ
राजा ने पूछा एक बूढ़े व्यक्ति तू कहां से आया है? बूढ़े ने जवाब दिया जहां आपने हाथी को सुरक्षित करने के लिए भेजा था। राजा को याद आया उसने तुरंत पूछा मेरे हाथी का क्या हाल है?
महाराज आपकी हाथी का हाल ठीक है किंतु एक ही तकलीफ है।
राजा ने कहा क्या तकलीफ है?
महाराज तकलीफ यह है कि आज आप कहां थी ना तो उठ रहा है ना तो बैठ रहा है ना? खा रहा है ना तो पी रहा है ना तो सांस ले रहा है और ना ही साथ छोड़ रहा है। ना आंखें बंद कर रहा है ना आंखें खोल रहा है।
राजा आश्चर्यचकित होता हुआ बूढ़े की बात सुनकर बड़े। गुस्से में बोला तो क्या मेरा हाथी मर गया?
बूढ़ा व्यक्ति नतमस्तक होता हुआ विनम्रता पूर्वक बोला महाराज यह बात मैं नहीं कह सकता यह तो आप ही कह सकते हैं।
राजा बूढ़े व्यक्ति के विनम्रता पूर्वक दिए गए वाक्यपटुता पर्ण जवाब को सुनकर थोड़ी देर बाद मुस्कुराया और बोला इस बूढ़े व्यक्ति को 500 स्वर्ण मुद्राएं और उपहार भेंट किया जाए और इसी खुशी पूर्वक इसके गांव छोड़ दिया जाए।
इस प्रकार वाक्पटुता से बूढ़े व्यक्ति ने पूरे गांव के लोगों की जान की सुरक्षा की।
© abdul qadir
बसंत कालीन दुपहरी में राजा के दूत कुछ मुनादी कर रहे थे और वह जोर-जोर से चिल्ला रहे थे सुनो सुनो सुनो राजा के हाथी को आप लोगों के गांव में छोड़ा जा रहा है आप इस हाथी को समय पर भोजन पानी देना और कहीं यह मर गई और इसकी सूचना कोई लेकर राजा के पास गया और बोला की हाथी मर गई है तो उस व्यक्ति को मृत्युदंड दिया जाएगा। इतना कह कि एक बीमार हाथी को राजा के दूत उस गांव के हवाले करके वहां से चले गए।
गांव के लोग दंड के भय से उस हाथी की सेवा करना आरंभ कर दिए उसे खाने पीने की सभी चीजें ला कर दिया करते थे और सभी काफी दिनों तक उसके साथ सेवा भाव से लगे रहे। किंतु एक दिन वह हाथी मर गई।
पूरे गांव में सन्नाटा छा गया था कि अब राजा को कौन सूचना दी कि हाथी मर गई अगर कोई सूचना लेकर जाता है और वह बोलता है कि हाथी मर गई तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा इसी बात को सोचकर गांव के सरपंच ने एक सभा का आयोजन किया? गांव के सभी लोग एकत्र हुए उन सबके सामने सरपंच ने राजा को सूचना पहुंचाने की बात कही तो सभी थरथर कांपने लगे मृत्युदंड के वैसे कोई भी इस काम को करने में सक्षम न दिखा का तभी एक बूढ़ा ग्रामीण खड़ा हुआ और उसने सरपंच से कहा सरपंच जी मेरा तो बुढ़ापा आ गया है क्यों ना एक अच्छा कर्म करके गांव के लोगों की जान बचाऐं मेरा क्या मैं बूढ़ा बैल मर भी गया तो क्या जाता है?
इतनी बात कह करवा बूढ़ा आदमी राजमहल की ओर रवाना हो गया कुछ समय बाद वह राज महल में उपस्थित हुआ
राजा ने पूछा एक बूढ़े व्यक्ति तू कहां से आया है? बूढ़े ने जवाब दिया जहां आपने हाथी को सुरक्षित करने के लिए भेजा था। राजा को याद आया उसने तुरंत पूछा मेरे हाथी का क्या हाल है?
महाराज आपकी हाथी का हाल ठीक है किंतु एक ही तकलीफ है।
राजा ने कहा क्या तकलीफ है?
महाराज तकलीफ यह है कि आज आप कहां थी ना तो उठ रहा है ना तो बैठ रहा है ना? खा रहा है ना तो पी रहा है ना तो सांस ले रहा है और ना ही साथ छोड़ रहा है। ना आंखें बंद कर रहा है ना आंखें खोल रहा है।
राजा आश्चर्यचकित होता हुआ बूढ़े की बात सुनकर बड़े। गुस्से में बोला तो क्या मेरा हाथी मर गया?
बूढ़ा व्यक्ति नतमस्तक होता हुआ विनम्रता पूर्वक बोला महाराज यह बात मैं नहीं कह सकता यह तो आप ही कह सकते हैं।
राजा बूढ़े व्यक्ति के विनम्रता पूर्वक दिए गए वाक्यपटुता पर्ण जवाब को सुनकर थोड़ी देर बाद मुस्कुराया और बोला इस बूढ़े व्यक्ति को 500 स्वर्ण मुद्राएं और उपहार भेंट किया जाए और इसी खुशी पूर्वक इसके गांव छोड़ दिया जाए।
इस प्रकार वाक्पटुता से बूढ़े व्यक्ति ने पूरे गांव के लोगों की जान की सुरक्षा की।
© abdul qadir