एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।।५
एक असम्भव अलौकिकता की खोज व दास्तान पर आधारित लेखक द्वारा वर्णित व्याख्या करते हुए उन्होंने संबोधित करते हुए इस तथ्य पर आधारित व्ख्या करते हुए कहा -लेखक:देखो चाहे सत्य हो या असत्य, अच्छा हो या बुरा सब में मैं स्वयं शामिलित होता हूं।। वह कहकर संबोधित करते हुए बोलकर गई कि वह नृत्य पोटली गुनम्यादिनी चिड़िया दुखी हैं -लेखक प्रशनवाचक से कहते हुए -कयोकि वह अभी खेद में है?
किस लिए वह खेद में है?🔴
कहा पर किस स्थान पर खेद में है?🔴
🔴 क्या कारण है खेद का!
🔴 किसके लिए है वह खेद में!लेखक -प्रशनवाचक -"वह नृत्य पोटली"वह कहती हैं कि उसने क्या क्या देखा -एक मां का अगर बेटा मरा तो उसकी गोख उजड़ी।।एक औरत की हाथ की टोटी चुडिया, मांग का मिटता हुआ सिंदूर, यह देखते वह कहती कि -
एक आदमी मरा तो खोख उजड़ी और उतरा एक औरत श्रृंगार।।अब इस पर प्रशनवाचक दोबारा उस गुनम्यादिनी चिड़िया की आसीमता की खोज व आलेख तथा असीमता का उल्लेख करते हुए लेखक से कहता है कि -जनाब बड़ी हैरानी कि बात है कि
एक बनाने वाले लोग को ही नाम के लिए भीख मांगनी पड़ रही है।।जिसमें शादी देने के बाद भी के बाद भी मायके में बोला जाता है कि पराए घर की तथा असुराल में बोला जाता की पराए घर से आई है जहा जन्म देने वाले का मां बाप का नाम छूट जाता है तथा जिस आंगन में भाई बहनों के साथ अठखेलियां करती थी वो आंगन भी पराया हो जाता है अगर सबकुछ देकर मुझे कोई नहीं
मानता तो हां मैं तुमसे आज पूछतीं हू कि मैं कौन हूं किस की हूं मेरा स्थान कहां है तथा मेरा वास्तविक परिचय पत्र जिसमें मेरा
अपना कालश्रोथ जातिश्रोत लिगश्रोथ विभकितश्रोत हो वो मुझे बतलाओ रे प्रतिद्वंद्वी।।इस पर प्रशनवाचक द्वारा नायिका नेतृत्व करते हुए आकर जब इस बारे में प्रशनवाचक ने नायिका को सिद्ध किया जाने पर कहा कि इस एक सिद्ध स्मारक बन जाने यह गाथा का विषय सिद्ध नहीं हो जाता है यह सवाल फिर भी बना रहे गा कि हर तरफ से वही निर्माणक फिर भी वह शून्य क्यों?🔴और उसने क्या क्या देखा अब इस रंगभूमि में?🔴 क्यों वह बान्ज कहलाई जाएगी।।🔴और क्यों वो औरत उसके जाने से
श्रृंगार हीन हो जाएगी?और तेरी ये नृत्य पोटलियां ना जाने उसे जाने किन किन नजरों से निराहेगें-कैसा होगा नपुंसकीय विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी का स्पर्श वो
बस यही प्रत्येक प्रश्न वह गुनम्यादिनी आप से पूछना चाहती थी?यह जो समय है जो मैं हूं इसलिए यह गाथा समय अनन्त होकर नृत्य पोटली होकर मजबूरी बनकर नपुंसक जन्मती जो है,
उसकी एक भूल अगर वो श्रृजनिका तो उसने प्रेम संग्रह रचने के एक तमाशिका होना चुना होगा।।ताकि वो अमर सकंटी बनकर संकट हरे ताकि काचकृम में नियंत्रण बना रहे।।और जब वह देखि जाती उस कलि के कलियुग के कलियौता में मचे हुए प्रलयंकर को जब उसे पूछा था तब उसने खड़े किए थे महाश्रोतत्म प्रश्न।।उसी एक मंजर पर आधारित थे।।
#प्रशणावली 🔴
किस लिए वह खेद में है?🔴
कहा पर किस स्थान पर खेद में है?🔴
🔴 क्या कारण है खेद का!
🔴 किसके लिए है वह खेद में!लेखक -प्रशनवाचक -"वह नृत्य पोटली"वह कहती हैं कि उसने क्या क्या देखा -एक मां का अगर बेटा मरा तो उसकी गोख उजड़ी।।एक औरत की हाथ की टोटी चुडिया, मांग का मिटता हुआ सिंदूर, यह देखते वह कहती कि -
एक आदमी मरा तो खोख उजड़ी और उतरा एक औरत श्रृंगार।।अब इस पर प्रशनवाचक दोबारा उस गुनम्यादिनी चिड़िया की आसीमता की खोज व आलेख तथा असीमता का उल्लेख करते हुए लेखक से कहता है कि -जनाब बड़ी हैरानी कि बात है कि
एक बनाने वाले लोग को ही नाम के लिए भीख मांगनी पड़ रही है।।जिसमें शादी देने के बाद भी के बाद भी मायके में बोला जाता है कि पराए घर की तथा असुराल में बोला जाता की पराए घर से आई है जहा जन्म देने वाले का मां बाप का नाम छूट जाता है तथा जिस आंगन में भाई बहनों के साथ अठखेलियां करती थी वो आंगन भी पराया हो जाता है अगर सबकुछ देकर मुझे कोई नहीं
मानता तो हां मैं तुमसे आज पूछतीं हू कि मैं कौन हूं किस की हूं मेरा स्थान कहां है तथा मेरा वास्तविक परिचय पत्र जिसमें मेरा
अपना कालश्रोथ जातिश्रोत लिगश्रोथ विभकितश्रोत हो वो मुझे बतलाओ रे प्रतिद्वंद्वी।।इस पर प्रशनवाचक द्वारा नायिका नेतृत्व करते हुए आकर जब इस बारे में प्रशनवाचक ने नायिका को सिद्ध किया जाने पर कहा कि इस एक सिद्ध स्मारक बन जाने यह गाथा का विषय सिद्ध नहीं हो जाता है यह सवाल फिर भी बना रहे गा कि हर तरफ से वही निर्माणक फिर भी वह शून्य क्यों?🔴और उसने क्या क्या देखा अब इस रंगभूमि में?🔴 क्यों वह बान्ज कहलाई जाएगी।।🔴और क्यों वो औरत उसके जाने से
श्रृंगार हीन हो जाएगी?और तेरी ये नृत्य पोटलियां ना जाने उसे जाने किन किन नजरों से निराहेगें-कैसा होगा नपुंसकीय विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी का स्पर्श वो
बस यही प्रत्येक प्रश्न वह गुनम्यादिनी आप से पूछना चाहती थी?यह जो समय है जो मैं हूं इसलिए यह गाथा समय अनन्त होकर नृत्य पोटली होकर मजबूरी बनकर नपुंसक जन्मती जो है,
उसकी एक भूल अगर वो श्रृजनिका तो उसने प्रेम संग्रह रचने के एक तमाशिका होना चुना होगा।।ताकि वो अमर सकंटी बनकर संकट हरे ताकि काचकृम में नियंत्रण बना रहे।।और जब वह देखि जाती उस कलि के कलियुग के कलियौता में मचे हुए प्रलयंकर को जब उसे पूछा था तब उसने खड़े किए थे महाश्रोतत्म प्रश्न।।उसी एक मंजर पर आधारित थे।।
#प्रशणावली 🔴