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अनपढ़ बानी-2
इसलिए नहीं की उसे पढ़ना अच्छा नहीं लगता इसलिए की उसे पढ़ाया नहीं
गया।बानी के माता पिता के एक।सड़क हादसे में अकश्मिक मृत्यु के पश्चात उसकी देखभाल के जिम्मा उसके चाचा के सर आ पड़ा और वो इसलिए की और कोई उसके खानदान में था ही नहीं जो उसका देखभाल अच्छे ढंग से करता।जैसे भी रखना है चाचा ही रखेंगे चाचा
का स्वभाव निर्मल था वो बानी को बिल्कुल अपने बेटी के तरह ही मानते पर इसके विपरीत उसकी चाची उससे घर के सारे काम करवाती जब बच्चे के खलने की उम्र होती है
अपने सहेलियों के साथ गप्पें लगाने की उम्र होती है।उस छोटे से उम्र में ही वो घर का सारा काम करती।सायद अब वह समझ चुकी है उसकी जिंदगी भगवान ने इसी तरह लिखी है इसलिए वो भगवान से कोई गिला शिकवा नहीं करती।सुबह 5 बजे सबसे पहले उठती है घर आँगन के सारे कार्य करके चाय तथा नास्ता बनाती है।जब 8 बजता है तब दोनों चचेरी बहन महारानी के तरह जगती है और चाय की फरमाईश बानी से करती है। बनी चुपचाप चाय लाके दे जाती है और अन्य काम में लग जाती है।ये अब बानी की रोज का दिनचर्या बन गया है अपनी थकान को नजर अंदाज करती जब कभी थकन ज्यादा होती तो खुद अपने हाथों से ही अपनी पाँव दबा लेती है और फिर काम में लग जाती है।समय बीतता जाता है.......
© sushant kushwaha