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गौरी देवी , पाटन गाँव की पोलिटिशियन

वेब की मुख्य कहानी -

जी हाँ,यह एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी है!
दोस्तों ऐसा आपने कई बार हुआ होगा कि हम जब किस्मत के पीछे भागते है तो किस्मत हमें रूलाती है, लेकिन क ई बार अक्सर ऐसी आश्चर्य जनक घटना हो जाती है कि जब किस्मत ही हमारे पीछे दौड़ी -दौड़ी चली आये !

यह एक ऐसी ही बेहद दिलचस्प व सुंदर प्रासांगिक कहानी है!
इस कहानी की प्रमुख किरदार गौरी देवी है!
जिसकी पहचान अभी तक गार्डसाहब की गृहिणी के रूप में है!
यहाँ गौरी देवी एक सुंदर, सुशील महिला है जो कि दिनेश कुमार गार्ड (डी.के.) की पत्नी है! वैसे गार्ड साहब रिश्ते में मेरे चाचा लगते हैं! इसी तरह गोरी देवी मेरी अपनी चाची है! ये कहानी की मुख्य सुत्रधार है!
जैसा कि गौरी देवी का विवाह सन् 2008 में मेरे चाचा डीके से हुआ!

आइये सुनते हैं, स्टोरी आॕफ गौरी देवी!

भाग- एक

गौरी देवी के घर हुई शुरुआती एक आश्चर्य जनक घटना -

हुआ यूँ कि अभी कुछ दिन बाद ही गाँव में पंचायती राज के छोटे (सरपंच)इलेक्शन आने वाले थे !
सूत्रों के मुताबिक हमारे यहाँ गाँव में अभी तक दस- पंद्रह साल से कभी भी सरपंचाई नहीं आयी!
तो गाँव के पंच-पटेल व सभी गाँव वाले इसी बड़ी समस्या को लेकर परेशान थे!
उन्हें अपने गाँव में से कोई ना तो कोई अच्छा उम्मीदवार ही मिल रहा था ना ही उनकी पड़ौसी व प्रतिद्वंद्वी गाँव जयसिंहपुरा से सरपंचाई पाटन में खींच लाने का कोई उपाय मिल रहा था! आज की रात गाँव के पंच पटेल पंचायती चर्चा को लेकर जागे हुए गाँव में जगह जगह घुम रहे है! मैं रात्रि की नींद बड़ी मौज से ले रहा था! कि तभी रात में अचानक कुछ लोगों ने दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया! बाहर चारों ओर लोगों का शौर मचा हुआ था! जैसे ही हम कुंजी खोल बाहर निकले तो वे लोग डीके गार्ड के फोन करवाने लगे! कि उन्हें सुबह बुलाओ, वो भी जल्दी!
यह एक आश्चर्य जनक किस्सा था!
क्योंकि तब ना तो गाँव में किसी गौरी देवी को जानता था ना ही डीके गार्ड को!
अर्थात ये डीके हाउस (हमारे घर को कोई जानना तो दूर) इस परिवार का कोई पता भी नहीं जानता था!

अब देखिये आगे ,






© jitendra kumar sarkar