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वो बड़े घर की बेटी
स्नेहा अपने माँ बाप की इकलौती सन्तान थी
उसके पापा एक बड़े बिजनेसमैन थे और स्नेहा से बहुत प्यार करते थे। स्नेहा के बोलने से पहले वो उसकी सारी ख्वाहिशें पूरी कर दिया करते थे।
स्नेहा अब धीरे धीरे बड़ी हो गई थी और उसने 12th पास करके शहर के एक बड़े कॉलेज में दाखिला ले लिया था।
नया कॉलेज, नया माहौल, नए दोस्त स्नेहा ने इस माहौल में जल्द ही खुद को ढाल लिया था, पर इसके साथ ही उसने आधुनिकता की ओर भी कदम रखा दिया था छोटे छोटे कपड़े, देर रात पार्टी सब उसकी लाइफ का हिस्सा बन गया था। उसके मम्मी पापा भी इस बात को लेकर काफी परेशान थे, उन्होंने स्नेहा को खूब समझाया पर उस पर कोई असर नहीं हुआ।
स्नेहा का जन्मदिवस आने वाला था तो उसने अपने सभी दोस्तों को बुलाया, घर में बड़ी पार्टी रखी।
उस दिन भी स्नेहा ने छोटे कपड़े ही पहने थे, उसने केक काटा सभी ने उसे कुछ न कुछ गिफ्ट किया।
स्नेहा के पापा ने उसे एक महंगा आईफोन गिफ्ट किया, जिसे पा कर स्नेहा काफी खुश हुई और पापा को थैंक्यू बोलते हुए कहने लगी कि मैं इसे अच्छे से सम्भाल कर, कवर लगा कर रखा करुँगी
इस पर उसके पापा बोले कि :- कवर की आवश्यकता कहां है,ऐसे ही सुन्दर लग रहा है।
स्नेहा बोली - इतना महंगा फोन इसे खरोंच हुआ तो
इस पर उसके पापा बोले कि बेटा इस कुछ क़ीमत के इस फोन पर एक खरोंच न आए इसलिए तुम इस पर कवर लगाना चाहती हो,
पर तुम तो हमारे लिए अनमोल हो बेटा फिर कैसे हम तुम्हें कोई खरोंच देख सकते हैं😔
स्नेहा ने अपने पापा के उस भाव को समझ लिया था, जो वो कहना चाह रहे थे और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, उसने अपने पापा मम्मी को सॉरी बोला और रोने लगी, उसके पापा ने भी आँखें नम करते हुए उसे गले से लगा लिया।
उसके बाद से उसमे बदलाव आ गया और उसके साथ वहां पार्टी मे मौजूद उसके दोस्तों में भी यह बदलाव देखने को मिला इससे उनके परिवार वाले भी खुश थे।

प्रिय बहनों :- आपकी सुन्दरता आपके गुणों से झलकती है, इस आधुनिक चकाचौंध में ये न भूले की आप अपने माँ बाप की अनमोल दौलत हो। किसी की क्या मज़ाल कोई आपकी बिना सह के आपकी तरफ गंदी नजर से देख ले। हम उस संस्कृति, संस्कारों से है जिसमें पल्लू पकड़ने पर महाभारत और लंका दहन कर देते हैं🙏

अगर किसी को मेरी रचना से आपत्ति है तो क्षमा चाहता हूं 🙏🙏

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet143