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प्रेमी पती... पत्नी प्रेमिका...❤️
व्यक्तिगत राय

क्या प्रेमी पती नहीं बन सकता?
तो क्या पती प्रेमी बन सकता है?
या फिर पत्नी प्रेमिका बन सकती है?
अक्सर देखा गया प्रेम अधूरा रही जाता है!
दर्द, जुदाई, दूरियां, धोखा, प्रेम के प्रतीक बन गए!
सभी का अपना अपना नजरिया है!
असल में प्रेम को जिस नजर से देखा गया!
प्रेम वैसे ही नजर आया!
तो क्या जब किसी रिश्ते में बंध जाते हैं!
तो प्रेम खत्म हो जाता है!
नहीं..
क्या दूरियों में भी इश्क़ पनपता है!
क्या दर्द ही प्रेम की अनुभूति करवाता है!
प्रेम किसी अर्थ का मोहताज नहीं!
रिश्ता होना ना होना मायने नहीं रखता!
प्रेम होना मायने रखता है,
एक दूसरे को प्रेम में समझना जरूरी है!
उसकी सोच को सरहाना!
उसकी भावनाओं की कद्र करना!
स्त्री या पुरुष वहीं होते हैं!
बस रिश्तों का नाम बदल जाता है!
मैने रिश्तों में भी प्रेम पनपना देखा है!
जब आप अपने आप को समर्पण करते हैं!
तो पत्नी भी प्रेमिका बन जाती है।
पति भी प्रेमी बन जाता है!
मुझे मालूम नहीं था प्रेम की अनुभूति क्या है!
हां लेकिन एक पुरुष को पती के रूप में पाया!
और वो ही मेरा प्रेमी बन गया !!❤️
~P.s