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नौकरी
नौकरी में बड़ी जिल्लत हो रखी है। अब छोड़ने का दिल करता है। कुछ दिन का आराम भी हो जाएगा। पर साथ ही साथ ये डर भी लगा रहता है कहीं दूसरी नौकरी मिलने में दिक्कत न हो जाए बाद में चल कर। पत्नी को इशारे दे रहा हूं कई महीनों से। अब जाकर उसको भी लगने लगा है ये छोड़ दे तो हीं भला। पैसों का चक्कर तो रहेगा पर इस वक्त शांति की बड़ी जरूरत महसूस होने लगी है। मैनेजर से बनती नही और ऊपर से काम भी कुछ खास नहीं है। पगार जो है सो है। वैसे भी सॉफ्टवेयर में अगर कम्पनी बदली न जाए तो फायदा उठाने लगते हैं। अब जब पत्नी का प्रमोशन हुआ है तो थोड़ी हिम्मत आ गई है और अब उसकी सहमति में बल दिखता है। उसकी सहमति मानो मेरे लिए असीम ऊर्जादायक है, खासकर तब, जब वो पेट से है और दवा दारू में अब और पैसे लगने हैं। आज 16 जून है और मेरी नौकरी का अंतिम दिन भी।

मां पापा दो दिन पहले ही बैंगलोर आए। अभी उनको बताया नही है। जब कभी कुछ और काम करने की बात छेड़ता हूं, मानो उनको सांप सूंघ जाता हो। कहते हैं नही नही यही ठीक है, पगार समय पर आ जाती है। और फिर उनको भी तो घर पर भेजने होते हैं पैसे। अगर कुछ नया काम शुरू किया तो पता नही कब तक चले की चले भी ना।
मां बाप का मन टटोलने की कोशिश कर रहा हूं। टटोलते टटोलते मानो बता ही दिया हो की नौकरी छोड़ दी है। पर उसको अनसुना करते हुए वो काम जारी रखने पर ही जोर दे रहे हैं। और इसके साथ कुछ एक मुहल्ले के लड़कों का उदाहरण तो लाज़िम है।

कल रामेश्वरम जाना है। रास्ते में मदुरई और आगे कन्याकुमारी भी जाएंगे। बाबा के दर्शन से शायद कुछ मार्गदर्शन हो। भोलेनाथ के प्रति आकर्षण बचपन से ही था। छुटपन में विद्यालय की प्रार्थना के समय ओम नमः शिवाय का जाप करता रहता था। किसी धारावाहिक में देख रखा था एसा करने से कुछ वरदान मिलता है। अब जब बड़ा हो गया हूं तो भक्ति में सौदेबाजी मिथ्या प्रतीत होती है। पर फिर भी रामनाथ स्वामी से अच्छी नौकरी और शांति का वरदान मांग ही लूंगा। और अब जब बाप बनने वाला हूं तो पत्नी और बच्चे की सेहत भी मांग लूं। यह सूची तो बढ़ती जाएगी। आगे बाबा की मर्जी।

© अंकित राज "रासो"

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