...

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..अनुभव ..
कल अपनी कक्षा से बाहर आकर विद्यालय के मैदान मे धूप में खड़ा था, मूड़ कुछ अच्छा नहीं था तभी मेरी 12वीं की छात्रा मुझे अकेला व अलग थलग देख कर ज़रा झिझकते हुए मेरे पास आई, बोली..
सर..
मैंने कहा हाँ बोलो..
बोली एक बात कहनी थी..
मैंने कहा बोल..
मेरे माथे पर बल देख कर बोली सर आप गुस्सा न हों..
मैंने कहा अब कुछ बोलेगी भी ?
उसने हिम्मत करके बोल ही दिया..
सर मैं दिखने में कैसी लगती हूं? मैंने कहा यह क्या सवाल है?
कहती.. प्लीज बताइये?
मैंने कहा सूरत नहीं, सीरत अच्छी होनी चाहिए, दिखने में तो बड़ी सुंदर हो तुम..
पर दिमाग बिल्कुल भी नहीं चलता तुम्हारा...
आगे से फटाक से बोली बस यही बात मैं आपको कहना चाहती हूं, सर मेरा दिमाग सच में ही नहीं चलता, आप निराश ना हो ..
आप लगातार तीन दिन से मुझे बताने समझाने की कोशिश कर रहे हो, आपने मुझे डांटा भी, फटकारा भी, पर उस बात से ज्यादा मुझे इस बात का बुरा लगा कि आप मेरी वजह से निराश हो, अगर मैं दिखने में सुंदर हूं तो कोई ना कोई मुझसे शादी कर लेगा और मैं उसकी चाकरी कर लूंगी ...
आप बड़े अच्छे हैं सर जी.. मैं ही डफर हूं... यह कहकर शर्मिंदा सी हो कर चली गई...
और मुझे समझ नहीं आया कि उसे मैं क्या कहूं....



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