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लालची राजा
एक समय की बात है, एक बड़े से महल में एक राजा रहता था। वह बहुत लालची था। उसके पास बहुत सारे पैसे होने के बावजूद वह उससे संतुष्ट नहीं था।

एक दिन एक बूढ़ा आदमी राजा के महल में आता है। वह राजा को एक अनोखा हीरा दिखाता है और कहता है की इस हीरे से तुम जो कुछ भी मांगोगे वह तुम्हें मिल जाएगा। लेकिन उसने राजा को चेतावनी दी कि हर इच्छा की एक कीमत होगी।

राजा बहुत खुश हो जाता है और हीरे को अपने पास रख लेता है। वह अपनी पहली इच्छा मांगता है कि उसे ढेर सारे सोने के सिक्के मिल जाए। अचानक से उसका कमरा सोने के सिक्कों से भर जाता है।

लेकिन राजा इतने में भी संतुष्ट नहीं होता है उसे और सोना चाहिए होता है। वह और इच्छा मांगता है कि उसे गहने, जमीन और खजाने चाहिए। उसे वह सब भी मिल जाता है।

जैसे-जैसे राजा का लालच बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे उसके राज्य के लोगों को भुगतना पड़ रहा था। वह सब गरीब हो गए, उनकी जमीन बंजर हो गई, क्योंकि हीरे से मांगी गयी इच्छाओं की कीमत उसके राज्य के लोगों को चुकाना पड़ रहा था। लोग गिड़गिड़ाते रहे राजा के सामने कि वह रुक जाए, लेकिन राजा ने उनकी एक न सुनी।

एक रात जब राजा सो रहा था, तब उनके पिताजी सपने में आते हैं और बोलते हैं कि “यह लालच उन सब चीजों को बर्बाद कर देगा, जिनसे तुम प्यार करते हो।” राजा की नींद खुलती है और उसे अपनी गलती का एहसास होता है।

राजा ने सभी लोगों को एक साथ बुलाया और अपने आप को बदलने का वादा किया। उसने अपने धन का उपयोग लोगों की मदद करने और राज्य को बेहतर बनाने के लिए किया। राज्य फिर से सुखी और समृद्ध हो गया।

उस दिन से, राजा ने सीखा कि लालची होने से केवल दुख मिलता है, लेकिन दयालु होने और दूसरों की मदद करने से सभी को खुशी मिलती है।