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#भगदोड
सुबह की पक्षीओं की कलशोर से नींद उड गई ।घड़ी सात बजे का समय बता रही थी । मन तो एक बार थोड़ा ओर सो लेना चाहता था । लेकिन जिम्मेदारी का बोध मन पर हावी हो गया । जल्दी जल्दी से भागना पडा स्कूल के लिए ।
स्कूल में जाते ही बखेड़ा शुरू हो गया ..क ई खीपेरेंट्स ओफिस में पहले से हाजिर थे । मैंने साश्चर्य पूछा तो पता चला कि लडकी एक लडके के साथ भाग गई हैं ।मुंह लटकाये लड़की की मम्मी और चाचा खडे थे । पहले मैंने डाँट दिया कि जब हम टीचर प्रिंसिपल वाली संमेलन के लिए इकट्ठा करते हैं तो नहीं आते जब बच्चे हद के पार बिगड जाते हैं या अपने हाथैं में नहीं रहते तब दौडे आते हैं ।डांट-फटकार चुपचाप सहन कर ली और अपनी गलती भी स्वीकार कर ली ।
बहूत समजाने पर भी वे लडकी का लिविंग सर्टिफिकेट ले ही गये ।और लडकी बालिग होनै पर पुलिस में एफ आई आर लगवा ही दी । आगे जो होना है वो होता रहेगा लेकिन बात ..बच्चों की पढाई पर अटक पडी । इर्द-गिर्द रहने वाली क ई लडकियांने भी स्कूल आना छोड दिया ।
अफसोस कि लोगों को बातें बनाने का मौका मिल गया ।शिक्षा,स्कूल ,समाज ,राजनीती और बेरोजको फटकारने में लग गये ।अफसोस तो यह था कि कच्ची उम्र की लडकियां विजातीय आकर्षण को प्रेम मानकर बलिवेदी पर जाती है । बाद में पछताने के बाद भी कुछ नहीं बचता । ना तो घर परिवार और ना ही समाज में आत्मसम्मान ही ।
पुलिस और कोर्ट का चक्कर काटकट थक जाते हैं और चंद पैसों के बदले मुकदमा वापस खींच लेते हैं !!!

© Bharat Tadvi