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प्रेरणा
सुमन अभी सो कर उठी ही थी कि देखी मोहल्ले में हलचल मचा हुआ है। तेज कदमों से सीढिय़ों से उतरकर नीचे आई तो मीना चाची ने बताई आज उच्चतर माध्यमिक परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ और पूरे जीले में सुमन को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।
सुमन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तुरन्त ही अपनी परिणाम अखबार में देखकर उसे तसल्ली हुई। वह दौड़ती हुई अपने सहेली मधु को जाकर गले लगाकर भावना में बहकर रोने लगी। मधु के आंखें भी नम हो गई।
सुमन एक -एक कर वहां इकट्ठे हुए सभी गुरुजनों के पांव छूकर आशीर्वाद प्राप्त की। सभी बहुत खुश थे।
सुमन जो बचपन में पोलियो के शिकार में अपनी दोनों टांगें खोल चुकी थी और हताश होकर जीवन को बोझ समझ रही थी,उसी समय उसकी सहेली मधु जो उसे हिम्मत बंधाते हुए जीने की कला सिखाई। आज मधु न होती तो शायद उसके लिए ये मुमकिन नहीं था। मधु उसे अक्सर यही कहती ," चुनौतियों का सामना उन्हें ही करना पड़ता है जिन्हें ईश्वर चुनकर भेजते हैं।"" आज तुम्हारे दो पांव नहीं है पर तुम्हारे साथ सभी के साथ है। ये क्या कोई कम बात है। वाकई एक प्रेरणा है जो हमें जीवन की दिशा दिखाने के लिए जरूरी है।