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क्या संभोग तपस्या बन सकता है एक प्रतीक
संभोग तपस्या क्या बन सकता है एक प्रेम प्रतीक अगर हां तो कैसे और नहीं तो कैसे?चलिए आई जानते हैं संभोग तपस्या में तीन वरदान कौन कौन से हैं और कैसे माने की यह वरदान है ।।
स्त्री वरदान -कहते स्त्री का हर रूप भव्य है ।। मां हो श्रृंगार चढ़ा दो ,बहन हो तो हाथ बड़ा दो,सखी हो अश्रु बहालो, पुत्री हो बेहद सुखी दो और यदि प्रियतम हो तो पहले उसे अपने गृह का वो स्थान दो जहां आप और आपकी मां अलावा किसी को आने की अनुमति नहीं हो।। क्योंकि अगर तेरे नाम से उसका नाम है तो तेरा आस्तित्व भी वो खुद हैं।।
और हां पहले आओ लोक में प्रवेश कर करो फिर आगे की गाथा अनन्त चलेगी पहला लोक है एकता,
दूसरा लोक है बल, तीसरा लोक प्रतिज्ञा , चौथा लोग-करमबध पचवालोग है पद-दरशन ,छठवालोग -विशवाष विजय सतवालोग सत्यनिष्ठा आठवा लोग -हदयलोग तथा आत्म रूह लोग-नवलोक, आकर्षकण लोक।।
एक स्त्री वैशया अपनी पूरी जिंदगी इन लोक इरत गिरत घूमाकर बीतता देती मगर पुरुष जाहे तो एक इस्त्री के इन्हीं लोको पलट सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए ताकि वो एक वसना ग्रन्थि से मुक्त होकर स्त्री संभोग साधना से योनि साधाना, चूत साधना,
मल-मूत्र साधना का आनन्द स्त्री साधाना करके जरम सुख साधना का पात्र बनने के योग्य बन जाए।।
#असमभव।।
#सरवशकतिमान
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